चंडीगढ़, 30 अगस्त : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि अगर कोई छात्र अपने आधिकारिक दस्तावेजों में खुद को हरियाणा का निवासी बताता है, तो वह बाद में पंजाब कोटे से दाखिले का दावा नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को एक ही समय में दो विरोधाभासी बयान देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस मामले में याचिकाकर्ता लवजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उसे पंजाब के सामान्य वर्ग के कोटे से बीवीएससी एंड एएच (बैचलर ऑफ वेटरनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी) कोर्स में दाखिला दिया जाए।
याचिकाकर्ता की दलील को खारिज
छात्र की दलील थी कि उसने अपनी पूरी शिक्षा पंजाब में प्राप्त की है, इसलिए उसे पंजाब का अभ्यर्थी माना जाए। मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहित कपूर की पीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को खारिज करते हुए कहा कि उसने अपनी अर्जी में कहा है कि वह न तो पंजाब का निवासी है और न ही चंडीगढ़ का। अर्जी में उसने साफ लिखा है कि वह हरियाणा का स्थायी निवासी है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जब याचिकाकर्ता लगातार खुद को हरियाणा का निवासी बताता रहा है तो अब वह यह दावा नहीं कर सकता कि उसे पंजाब के निवासी के तौर पर दाखिला दिया जाए। याचिकाकर्ता को एक ही समय में दो विरोधाभासी दावे करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्र के नीट एडमिट कार्ड में भी हरियाणा कोटे में उसकी पात्रता साफ तौर पर दिखाई दे रही है।
इसलिए उसे पंजाब का निवासी मानने का सवाल ही नहीं उठता। हाईकोर्ट ने साफ कहा कि छात्र की याचिका में कोई ठोस आधार नहीं है और यह केवल दोहरा लाभ लेने की कोशिश है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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