नई दिल्ली, 18 अगस्त : पति-पत्नी का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता है। पति हो या पत्नी, अपने पार्टनर को प्यार से कोई न कोई नाम ज़रूर देते हैं। आमतौर पर आपने देखा होगा कि पति अपनी पत्नी को प्यार से ‘बेटर हाफ’ कहकर बुलाते हैं। यह एक ऐसा शब्द है जो रिश्ते में निकटता और गहराई को दर्शाता है।
आपको बता दें कि बेटर हाफ का मतलब होता है ‘एक ऐसा साथी जो अधूरे जीवन को पूरा करे।’ अक्सर पुरुष अपनी पत्नियों को ‘बेटर हाफ’ कहते हैं। कोई भी शादी तभी पूरी मानी जाती है जब दोनों रिश्ते को निभाने की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। अधूरा हाफ तब पूरा होता है जब पति या पत्नी में से कोई एक दूसरे की कमी पूरी करता है।
एक पत्नी अपने पति को हर तरह से स्वीकार करती है।
एक पत्नी को अक्सर बेहतर अर्धांगिनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने पति की खुशियों, परेशानियों और ज़िम्मेदारियों को बराबरी से बाँटती है। वह अपने पति की हर बात को अपना मानती है। चाहे वह परिवार हो, कोई मुश्किल घड़ी हो या फिर कोई खुशी का मौका। एक पत्नी अपने पति को हर तरह से अपनाती है।
पत्नी के आने से पति को अपने जीवन में कभी अकेलापन या आत्मीयता की कमी महसूस नहीं होती। कहा जाता है कि पुरुष अपनी भावनाओं को साझा करने में थोड़ा झिझकते हैं। लेकिन एक पत्नी अपने प्यार से इस कमी को पूरा कर देती है। एक पत्नी ही अपने पति को सिखाती है कि भावनाओं को साझा करना भी ज़रूरी है। इससे रिश्ता मज़बूत होता है।
विवाह एक पवित्र बंधन है।
एक पति हमेशा यह विश्वास रखता है कि उसकी पत्नी हमेशा उसके साथ खड़ी रहेगी, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ। शादी एक पवित्र बंधन है, जिसमें अगर साथ, ईमानदारी, समझदारी और प्यार हो, तो कोई भी मुश्किल रिश्ते को तोड़ नहीं सकती। एक पत्नी का सबसे बड़ा काम अपने पति का भावनात्मक और मानसिक रूप से साथ देना माना जाता है। इसीलिए पत्नी को अर्धांगिनी कहा जाता है।
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