चंडीगढ़, 16 जुलाई : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू मामले में बर्खास्त डीएसपी गुरशेर संधू की याचिका पर सुनवाई की। संधू के वकील ने दावा किया कि डिवीजन बेंच ने सरकार को इंटरव्यू के दौरान मौजूद सभी वरिष्ठ अधिकारियों के नाम उजागर करने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार ने केवल सबसे निचले स्तर के अधिकारी संधू को ही दोषी पाया। संधू के वकील ने कहा कि उन्हें जानबूझकर इस मामले में फंसाया गया, जबकि हाईकोर्ट की डबल बेंच ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी जूनियर अधिकारी को बलि का बकरा न बनाया जाए और वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका स्पष्ट की जाए।
इसके बावजूद, सरकार ने उन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जो वास्तव में उस समय जिम्मेदार थे। इसके साथ ही, वकील ने यह भी स्पष्ट किया कि जब लॉरेंस बिश्नोई सीआईए खरड़ में था, तब वह कभी संधू की हिरासत में नहीं था, बल्कि वह एजीटीएफ (एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स) की हिरासत में था। सभी दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आदेश दिया कि इस मामले में डिवीजन बेंच द्वारा लिए गए नोटिस से संबंधित केस की पूरी फाइल 30 जुलाई को कोर्ट में पेश की जाए।
गौरतलब है कि 3 जून को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पंजाब सरकार को गुरशेर संधू से जुड़े सभी सबूत सीलबंद लिफाफे में पेश करने और यह भी स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि जब बिश्नोई सीआईए खरड़ कॉम्प्लेक्स में थे, तब उनकी सुरक्षा व्यवस्था किसकी थी। इस मामले में अगली सुनवाई अब 30 जुलाई को होगी।
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