नई दिल्ली, 5 अगस्त : अगर भारत अपने निर्यात पर अतिरिक्त शुल्क या जुर्माने की अमेरिकी धमकियों से बचने के लिए रूस से कच्चा तेल आयात करना बंद कर देता है, तो देश का वार्षिक तेल आयात बिल 9-11 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है। विश्लेषकों ने यह अनुमान लगाया है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक है। फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने मास्को पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इसके बाद, भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदकर काफी लाभ हुआ।
रूस प्रतिदिन लगभग 95 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है। यह वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है। रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है, जो प्रतिदिन लगभग 45 लाख बैरल कच्चे तेल और 23 लाख बैरल परिष्कृत उत्पादों का निर्यात करता है। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद, रूसी तेल के बाज़ार से कट जाने की आशंकाएँ थीं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में वृद्धि की आशंकाएँ पैदा हुईं। भारत ने इसे एक अच्छे अवसर के रूप में देखा और इसका लाभ उठाया।
भारत 35-40 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आयात करता है
अब भारत अपनी ज़रूरत का 35-40 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आयात कर रहा है। इससे भारत को खुदरा ईंधन की कीमतों को नियंत्रित करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। फरवरी 2022 की शुरुआत में, भारत के कच्चे तेल के आयात में रूस की हिस्सेदारी केवल 0.2 प्रतिशत थी। यूरोपीय बाजारों के दरवाजे बंद होने के बाद, रूस से भारत को समुद्री निर्यात बढ़ने लगा। भारतीय तेल कंपनियां घरेलू खपत के लिए कुछ तेल को परिष्कृत करती हैं। बाकी का निर्यात डीजल और अन्य उत्पादों के रूप में किया जाता है। कुछ हिस्सा यूरोप को भी निर्यात किया जाता है। इससे भारतीय तेल कंपनियों को लाभ हो रहा है।
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