न्यूयार्क, 28 अगस्त : अमेरिका में पढ़ाई या रिपोर्टिंग की योजना बना रहे विदेशी छात्रों और पत्रकारों के लिए अब चीज़ें पहले जैसी आसान नहीं रहेंगी। अमेरिका ने अपनी वीज़ा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है, जिससे न केवल वीज़ा की अवधि सीमित होगी, बल्कि निगरानी व्यवस्था भी कड़ी होगी। अब तक, विदेशी छात्र, पत्रकार या सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लेने वाले लोग अपनी गतिविधियों की अवधि तक अमेरिका में रह सकते थे, लेकिन नई नीति के तहत अब इन श्रेणियों के लिए अधिकतम प्रवास अवधि निर्धारित कर दी गई है।
नये परिवर्तन क्या हैं?
विदेशी छात्र (एफ-1 वीज़ा): अब वे अधिकतम 4 वर्ष तक अमेरिका में रह सकेंगे, चाहे उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की हो या नहीं।
अध्ययन पूरा होने के बाद उपलब्ध 60 दिन की छूट अवधि को घटाकर 30 दिन कर दिया गया है।
स्नातक छात्रों को अब पाठ्यक्रम के बीच में कार्यक्रम बदलने की अनुमति नहीं होगी।
इन परिवर्तनों के पीछे क्या कारण है?
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य वीज़ा के दुरुपयोग और अवैध आव्रजन पर अंकुश लगाना है। विभाग का कहना है कि पिछली “स्थिति की अवधि” प्रणाली में निरीक्षण संबंधी सीमाएँ थीं, जिसके कारण कभी-कभी लोग निर्धारित समय से अधिक समय तक रुक जाते थे या नियमों का उल्लंघन करते थे। अब, यदि कोई व्यक्ति निर्धारित समय से अधिक समय तक अमेरिका में रहना चाहता है, तो उसे विस्तार के लिए डीएचएस से विशेष अनुमति लेनी होगी।
छात्रों और पत्रकारों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
अंतरराष्ट्रीय मामलों से जुड़े शिक्षा विशेषज्ञों और विश्लेषकों के अनुसार, ये नए नियम विदेशी छात्रों को अमेरिका आने के फैसले पर दोबारा सोचने पर मजबूर कर सकते हैं। शोध-आधारित पाठ्यक्रम या पीएचडी जैसे दीर्घकालिक अध्ययन करने वाले छात्रों को बीच में वीज़ा विस्तार प्रक्रिया से गुजरना होगा, जिसके लिए समय और संसाधन दोनों की आवश्यकता होगी। साथ ही, पत्रकारों के लिए सीमित समय अवधि की आवश्यकता उनकी रिपोर्टिंग स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब वे लंबी रिपोर्टिंग परियोजनाओं पर काम कर रहे हों।
यह भी देखें : टेलर स्विफ्ट कॉन्सर्ट पर हमले की साजिश रचने के आरोप में किशोर दोषी करार
More Stories
अनुसंधान के लिए तीन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया
माउंट एवरेस्ट पर भयंकर हिमस्खलन, 1,000 पर्वतारोही फंसे
बारिश से भारी तबाही, भूस्खलन और बाढ़ से अब तक 52 लोगों की मौत