October 5, 2025

विश्व में अब अधिक बच्चे दुबलेपन की अपेक्षा मोटापे से पीड़ित हैं

विश्व में अब अधिक बच्चे दुबलेपन की...

नई दिल्ली, 13 सितम्बर : दुनिया में पहली बार बच्चों में दुबलेपन की बजाय मोटापे की समस्या बढ़ रही है। यूनिसेफ की एक नई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बच्चों के आहार में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड जंक फूड हावी हो रहा है, जिससे उनके स्वास्थ्य और विकास को गंभीर खतरा है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में लगभग 18.8 करोड़ बच्चे, यानी हर 10 में से एक बच्चा मोटापे का शिकार है।

अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ बच्चों के लिए घातक हैं: यूनिसेफ की एक रिपोर्ट बताती है कि मोटापा बच्चों में हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर के खतरे को बढ़ा रहा है। पैकेज्ड स्नैक्स, मीठे पेय पदार्थ, बिस्कुट, केक और रेडी-टू-ईट जैसे अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ बच्चों के आहार में प्रमुखता से शामिल हैं।

इन खाद्य पदार्थों में चीनी, वसा और नमक की मात्रा ज़्यादा होती है और इन्हें औद्योगिक प्रक्रियाओं से गुज़ारा जाता है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि स्कूल और बाज़ार जंक फ़ूड से भरे पड़े हैं और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इनका विपणन बच्चों और अभिभावकों को निशाना बनाकर किया जा रहा है।

यूनिसेफ ने सरकारों से जंक फूड पर लेबल लगाने और उस पर कर लगाने, स्कूलों में इसकी बिक्री और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने, और गरीब परिवारों को स्वस्थ आहार उपलब्ध कराने के लिए बेहतर योजनाएँ बनाने का आग्रह किया है। रिपोर्ट में स्कूलों में जंक फूड की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने के मेक्सिको के कदम की भी सराहना की गई है।

5 से 19 वर्ष की आयु के 9.2 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने रिपोर्ट के बारे में कहा कि जब हम कुपोषण की बात करते हैं, तो हमें अब केवल दुबले-पतले बच्चों की ही नहीं, बल्कि मोटापे से जूझ रहे बच्चों की भी चिंता करनी होगी। जंक फूड अब फलों, सब्जियों और प्रोटीन की जगह ले रहा है, जबकि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए उचित पोषण बेहद जरूरी है। रिपोर्ट बताती है कि 5 से 19 साल के 9.2 फीसदी बच्चे दुबले-पतले हैं, जबकि 9.4 फीसदी मोटे हैं।

साल 2000 में जहां करीब 13 फीसदी बच्चे दुबले-पतले और सिर्फ 3 फीसदी मोटे थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। मोटापा अब सभी क्षेत्रों में कुपोषण से भी बड़ा खतरा बन गया है।

इन देशों में समस्या गंभीर है

प्रशांत द्वीप समूह – न्यूज़ीलैंड और कुक द्वीप समूह में 5 से 19 वर्ष की आयु के बच्चों में मोटापे की दर सबसे ज़्यादा है। तीनों समृद्ध देशों – चिली, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात – में भी स्थिति गंभीर है। इन देशों में, चिली में मोटापे की दर 27 प्रतिशत और अमेरिका तथा संयुक्त अरब अमीरात में 21 प्रतिशत है। ब्रिटेन में, बच्चों में मोटापे की दर 2000 में 9 प्रतिशत थी, जो अब 2022 में बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई है।

केन्या में, पिछले 20 सालों में मोटी लड़कियों की संख्या दोगुनी होकर 13 प्रतिशत हो गई है। दक्षिण अफ्रीका में, आठ में से एक बच्चा मोटापे से ग्रस्त है, जबकि चार में से एक बच्चा बौना है।

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