नई दिल्ली, 25 अगस्त : त्योहारों का मौसम आते ही, अगर आप पहली बार बैंक से लोन लेने की सोच रहे हैं और सिबिल स्कोर न होने की चिंता में हैं, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी है। अब बिना क्रेडिट हिस्ट्री वाले लोग भी बैंक या एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान) से लोन ले सकेंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पहली बार लोन लेने वालों के लिए न्यूनतम सिबिल स्कोर अनिवार्य नहीं होगा। यानी अब सिर्फ़ स्कोर के आधार पर लोन अस्वीकृत नहीं किया जाएगा।
सरकार ने संसद में अपना जवाब दिया
हाल ही में लोकसभा के मानसून सत्र के दौरान वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंक या अन्य ऋणदाता केवल कम या शून्य सिबिल स्कोर के आधार पर किसी के ऋण आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकते। चौधरी ने कहा कि आरबीआई द्वारा 6 जनवरी, 2025 को जारी मास्टर निर्देश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी भी ग्राहक को क्रेडिट इतिहास की कमी के कारण ऋण देने से इनकार नहीं किया जाना चाहिए।
गहन जांच आवश्यक होगी
सरकार ने यह ज़रूर कहा है कि सिबिल स्कोर अनिवार्य नहीं है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कोई जाँच-पड़ताल नहीं होगी। बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे हर ग्राहक की पृष्ठभूमि की पूरी जाँच-पड़ताल करें। इसमें लोन आवेदक के पिछले भुगतान व्यवहार, कोई पुराना कर्ज़, देर से भुगतान, निपटाए गए या पुनर्गठित कर्ज़ और बंद हुए खातों की जाँच शामिल होगी। इस प्रक्रिया को ड्यू डिलिजेंस कहते हैं, जो हर लोन से पहले अनिवार्य है।
सिबिल स्कोर क्या है?
सिबिल स्कोर तीन अंकों की एक संख्या है जो आपकी क्रेडिट योग्यता, यानी ऋण चुकाने की आपकी क्षमता को दर्शाती है। यह स्कोर 300 से 900 तक होता है और स्कोर जितना ज़्यादा होगा, आपकी क्रेडिट योग्यता उतनी ही बेहतर मानी जाएगी। यह स्कोर देश की अग्रणी क्रेडिट सूचना एजेंसियों में से एक, सिबिल (क्रेडिट इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड) द्वारा तैयार किया जाता है। बैंक और वित्तीय कंपनियाँ ऋण स्वीकृत करने से पहले इस स्कोर को देखकर आपकी वित्तीय ज़िम्मेदारी का आकलन करती हैं।
यदि आपके पास स्कोर नहीं है तो भी आपको ऋण मिल जाएगा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि आरबीआई ने कोई न्यूनतम स्कोर तय नहीं किया है। यानी किसी व्यक्ति का स्कोर 600 है या 0, सिर्फ़ इसी पर फ़ैसला नहीं होगा। ऋण देने से पहले, बैंक अब अपनी नीति, मौजूदा नियमों और ऋण चुकाने की क्षमता के आधार पर ऋण देने या न देने का फ़ैसला करेंगे। सिबिल रिपोर्ट अब सिर्फ़ एक सहायक दस्तावेज़ होगी, अंतिम फ़ैसले का आधार नहीं।
कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा
कभी-कभी लोग शिकायत करते हैं कि उनसे सिबिल रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए भारी रकम वसूली जाती है। सरकार ने भी इस बारे में स्थिति स्पष्ट की है। मंत्री महोदय ने कहा कि कोई भी क्रेडिट सूचना कंपनी (सीआईसी) ₹100 से ज़्यादा शुल्क नहीं ले सकती। इसके अलावा, आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रत्येक व्यक्ति को साल में एक बार उसकी पूरी क्रेडिट रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में निःशुल्क दी जाए। यह नियम 1 सितंबर, 2016 से प्रभावी है।
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