नई दिल्ली, 8 सितंबर : दुनिया में चल रहे वैश्विक तनाव के बीच ओपेक प्लस देशों ने भी एक बड़ा फैसला लिया है। ओपेक देश अक्टूबर में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने पर सहमत हो गए हैं। आमतौर पर जब कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ता है, तो उसकी कीमतों को कम सपोर्ट मिलता है। दरें थोड़ी कम होती हैं। हालाँकि, अब वैश्विक माँग में कमी के कारण ऐसा किया गया है, इसलिए इस फैसले से कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट मिलेगा। लेकिन अगर कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत को नुकसान ज़रूर होगा। साथ ही, दरों में कमी से भी भारत को कोई खास फायदा नहीं होगा।
ओपेक+, जिसमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन, रूस और अन्य सहयोगी शामिल हैं, अक्टूबर से तेल उत्पादन में और वृद्धि करने पर सहमत हो गया है क्योंकि इसका नेता सऊदी अरब बाजार हिस्सेदारी हासिल करना चाहता है, जबकि विकास की गति पिछले महीनों की तुलना में धीमी रही है। ओपेक+ तेल बाजार को सहारा देने के लिए वर्षों की कटौती के बाद अप्रैल से उत्पादन बढ़ा रहा है, लेकिन उत्तरी गोलार्ध के सर्दियों के महीनों में तेल की कमी की आशंका के बीच उत्पादन में और वृद्धि का नवीनतम निर्णय एक आश्चर्य के रूप में सामने आया है।
वृद्धि कितनी होगी?
आठ ओपेक+ सदस्य अक्टूबर से उत्पादन में 137,000 बैरल प्रतिदिन की वृद्धि करेंगे, जो कि सितम्बर और अगस्त में लगभग 555,000 बैरल प्रतिदिन तथा जुलाई और जून में 411,000 बैरल प्रतिदिन की मासिक वृद्धि से काफी कम है।
क्या भारत को लाभ होगा?
ओपेक देशों द्वारा इस समय उत्पादन बढ़ाने की मुख्य वजह वैश्विक मांग में कमी है। अगर मांग में सुधार होता है, तो कीमतें बढ़ सकती हैं। इसके विपरीत, यह भी संभव है कि उत्पादन ज़्यादा होने पर कीमतें कम भी हो सकती हैं। दोनों ही स्थितियों में भारत को फ़ायदा हो सकता है। रुपया 88 के पार पहुँच गया है। आने वाले दिनों में व्यापार में भारत को फ़ायदा होगा या नुकसान, यह रुपये की चाल पर निर्भर करेगा। अगर रुपया मज़बूत होता है, तो कच्चे तेल की क़ीमत गिरने पर भी कुछ राहत मिल सकती है।
भारत का कच्चा तेल आयात
भारत दुनिया के सबसे बड़े तेल ख़रीदार देशों में से एक है। यहाँ तेल के लिए निर्भरता मुख्यतः खाड़ी देशों और रूस पर है। अगर आँकड़ों की बात करें, तो रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने वर्ष 2023-24 में लगभग 232.5 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया। इसके साथ ही, आयात पर भारत की निर्भरता 87.7 प्रतिशत बढ़कर 1.5 अरब डॉलर हो गई। इस दौरान कच्चे तेल का कुल आयात बिल 132.4 अरब डॉलर रहा।
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