October 7, 2025

नाई की दुकान पर फेल हुई PAK की परमाणु योजना, अजीत डोभाल

नाई की दुकान पर फेल हुई PAK की परमाणु...

नई दिल्ली, 26 अगस्त : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को स्थानीय ‘जेम्स बॉन्ड’ और ‘सुपर कॉप’ के नाम से भी जाना जाता है। अजीत डोभाल शुरू से ही कुछ अलग रहे हैं और कई मौकों पर उन्होंने इसे साबित भी किया है। दरअसल, उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो और सिक्किम मिशन के दौरान खुद को स्थापित किया। इसके अलावा, डोभाल ने अपने करियर में कई बड़े मिशनों को भी अंजाम दिया है। इसी सिलसिले में, 1980 के दशक में वे एक ऐसे मिशन पर गए थे जिसमें न सिर्फ़ उनकी जान को ख़तरा था, बल्कि देश की सुरक्षा भी ख़तरे में पड़ सकती थी।

जब डोभाल पाकिस्तान में भिखारी बनकर रहे

डी देवदत्त की किताब ‘अजीत डोभाल-ऑन अ मिशन’ में डोभाल से जुड़े एक बड़े और खतरनाक मिशन का ज़िक्र है। इस मिशन को पूरा करने के लिए अजीत डोभाल पाकिस्तान गए थे। पाकिस्तान जाकर उन्होंने उनके (पाकिस्तान के) परमाणु कार्यक्रम पर जासूसी का काम किया। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस दौरान वे पड़ोसी देश में एक भिखारी की तरह रहे और मिशन पर काम किया।

उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर मिशन पूरा किया।

किताब के अनुसार, जब भारत ने 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया, तो दुनिया का सबसे हैरान देश पाकिस्तान था। इसके बाद भी, वे परमाणु क्षमताएँ हासिल करने की कोशिश में लगे रहे। इसलिए, पाकिस्तान ने चीन और उत्तर कोरिया की मदद ली। जैसे ही यह बात सामने आई, भारत ने इसकी पूरी जानकारी हासिल करने की योजना बनाई।

भारत ने अजीत डोभाल को पाकिस्तान की इस चाल को उजागर करने की बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी थी। उन्हें एक ऐसा मिशन दिया गया था जिससे न सिर्फ़ उनकी जान को ख़तरा था, बल्कि अगर सच्चाई सामने आती, तो भारत की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती थी। अजीत डोभाल ने अपने मिशन को बेहद शानदार तरीके से अंजाम दिया। उन्होंने कई दिन पाकिस्तान के एक गाँव कहूटा की गलियों में भिखारी बनकर भटकते रहे। वह परमाणु क्षमता के परीक्षण से जुड़ी तमाम जानकारियाँ इकट्ठा करना चाहते थे।

नाई की दुकान पर मिली बड़ी जानकारी

भिखारी के वेश में घूम रहे अजीत डोभाल को लोग भीख देते थे। हालाँकि, उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी। वे अपने मिशन पर केंद्रित रहे। इसी दौरान एक दिन वे एक नाई की दुकान पर पहुँचे, जहाँ खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक रोज़ आते थे। डोभाल उस दिन भी दुकान के बाहर बैठे थे, लेकिन उनका ध्यान अंदर फर्श पर था, जहाँ बाल बिखरे पड़े थे।

खान रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक जैसे ही बाल काटकर चले गए, अजीत डोभाल चुपचाप वहाँ से बाल इकट्ठा कर ले गए। उन्होंने चुपचाप ये बाल भारत भेज दिए। इन बालों के परीक्षण के दौरान, इनमें विकिरण और यूरेनियम के कुछ अंश पाए गए। इनकी मदद से पाकिस्तान के गुप्त परमाणु कार्यक्रम की जानकारी सामने आ सकी। अजीत डोभाल की इस बहादुरी ने पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं का पर्दाफ़ाश कर दिया।

छह साल तक पाकिस्तान में छिपे रहे

गौरतलब है कि अजीत डोभाल लगभग 6 साल तक गुप्त रूप से पाकिस्तान में रहे। यहाँ वे लगातार तरह-तरह की धमकियों से खेलते रहे। अजीत डोभाल के प्रयासों से ही भारतीय खुफिया एजेंसियों को पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं के बारे में पता चल पाया।

गौरतलब है कि उन बालों के रेशों को इकट्ठा करके और यूरेनियम की मौजूदगी साबित करके, डोभाल ने ऐसी जानकारी दी जिससे पाकिस्तान की परमाणु परीक्षण क्षमता 15 साल पीछे हो गई। इस मिशन को डोभाल के करियर का सबसे साहसी और खतरनाक मिशन माना जाता है।