नई दिल्ली, 4 अक्तूबर : पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 12 लोग पुलिस की गोलीबारी में मारे गए हैं, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। विरोध प्रदर्शनों का मुख्य कारण पानी, बिजली, आटा और चावल जैसी बुनियादी ज़रूरतों पर सब्सिडी और करों में राहत की मांग है।
सड़कों पर प्रदर्शनकारी, हिंसा और आगजनी
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सेहांसा, अरजा पुल और कोटली कस्बों में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं। सेहांसा में प्रदर्शनकारियों ने नागरिकों की हत्याओं के विरोध में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। प्रदर्शनकारियों ने अरजा पुल को जाम कर दिया, जिससे यातायात बाधित हो गया। कोटली कस्बा बंद रहा, दुकानें और यातायात पूरी तरह से बाधित रहा। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस वैन और एक बुलडोजर को भी आग लगा दी।
अंतर्राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन, ब्रिटेन में भूख हड़ताल
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पिछले 96 घंटों से इंटरनेट और कॉलिंग सेवाएँ बंद हैं। युवा इस फैसले का विरोध कर रहे हैं और ब्रिटेन स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के बाहर भूख हड़ताल पर हैं। उनका कहना है कि जब तक पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेवाएँ बहाल नहीं हो जातीं, वे हड़ताल जारी रखेंगे।
जनता का गुस्सा नारों में दिखा
यूनाइटेड अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में हज़ारों लोग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कई शहरों में पाँच दिनों से सड़कों पर हैं। लोग नारे लगा रहे हैं, “हुज़ूर, देखो, हम तुम्हारी मौत हैं… इंक़लाब आएगा।” हर जगह बंद और यातायात जाम है; दुकानें, बाज़ार, होटल और परिवहन बंद हैं। सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद, आंदोलन थमा नहीं है।
बातचीत के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला।
शहबाज़ शरीफ़ सरकार और अवामी एक्शन कमेटी के सलाहकारों के बीच दूसरे दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है। पाकिस्तान के संसदीय मामलों के संघीय मंत्री चौधरी तारिक फ़ज़ल ने कहा कि कुछ मांगों के लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता है और बातचीत जारी है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों से अपील
जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी के सदस्य सरदार उमर नज़ीर कश्मीरी ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों से पीओके में चल रहे संकट का तुरंत समाधान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों की अंधाधुंध गोलीबारी में निहत्थे नागरिक मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं।
आर्थिक संकट और महंगी बुनियादी सेवाएँ
पाकिस्तान के आर्थिक संकट का सबसे ज़्यादा असर पीओके में पड़ा है। खाद्यान्न, ईंधन और बिजली महंगी हो गई है। उच्च बिजली उत्पादन के बावजूद, स्थानीय निवासियों को ऊँची कीमतों पर बिजली खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस महंगी बिजली और संसाधनों के दोहन ने जनता के गुस्से को और भड़का दिया है।
यह भी देखें : खराब मौसम के चलते मां वैष्णो देवी तीर्थयात्रा स्थगित की गई
More Stories
सुरक्षा बलों की गोलीबारी में हुई मौतों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए: वांगचुक
बिहार चुनाव से पहले 62,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू होंगी
‘संभल मस्जिद पर बुलडोजर की कार्रवाई नहीं रुकेगी’ : हाईकोर्ट