October 6, 2025

पुतिन ने ट्रंप की पोल खोली! अमेरिका खुद रूस से कर रहा है बड़ा कारोबार

पुतिन ने ट्रंप की पोल खोली! अमेरिका...

मास्को, 17 अगस्त : पिछले कुछ दिनों में अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास आई है। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ को लेकर एकतरफा आदेश है। उन्होंने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ सिर्फ़ इसलिए लगाने का ऐलान किया क्योंकि हमारा देश रूस से तेल खरीदता है। ट्रंप का कहना है कि रूस के साथ व्यापार करके भारत यूक्रेन के खिलाफ उसकी जंग में उसकी मदद कर रहा है।

एक तरफ जहां अमेरिका ने रूस के साथ व्यापार करने पर भारत के खिलाफ कार्रवाई की, वहीं दूसरी तरफ 15 अगस्त को खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनके दूसरे कार्यकाल यानी ट्रंप 2.0 के दौरान अमेरिका और रूस के बीच व्यापार में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

पुतिन ने ट्रम्प के बारे में खुलकर बात की

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिका-रूस व्यापार पर अपनी प्रतिक्रिया दी। अलास्का में शिखर सम्मेलन के दौरान पुतिन ने कहा, “संयोग से, जब अमेरिका में नया प्रशासन सत्ता में आया, तो द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने लगा। यह अभी भी बहुत प्रतीकात्मक है, फिर भी हमारी विकास दर 20% है।” उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि अमेरिका और रूस के बीच निवेश और व्यापार सहयोग की अपार संभावनाएं हैं तथा व्यापार, डिजिटल, उच्च तकनीक से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण तक हर क्षेत्र में अवसर मौजूद हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा?

कई भारतीय राजनेताओं ने अमेरिका के दोहरे मानदंडों पर अपनी नाराज़गी जताई है। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “पुतिन के अनुसार, अमेरिका-रूस द्विपक्षीय गैस व्यापार में 20% की वृद्धि हुई है। रूस के निर्यात बाजार में चीन की हिस्सेदारी 32% और यूरोपीय संघ की 62% है। 2024 में, रूस से यूरोपीय संघ का एलएनजी आयात रिकॉर्ड 17.8 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा, लेकिन अंदाज़ा लगाइए कि उच्च टैरिफ बिल का बोझ कौन उठाएगा? यह व्यापार नहीं, बल्कि चुनिंदा धमकी है।”

यह भी देखें :

ट्रम्प के फैसले पर भारत का कड़ा बयान

आपको बता दें कि रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका की कार्रवाई पर न सिर्फ भारत ने नाराजगी जताई है, बल्कि विदेश मंत्रालय ने भी अमेरिका को कड़े शब्दों में जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस कदम को अनुचित बताया है।

साथ ही मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका के कड़े रुख के बावजूद चीन और यूरोपीय संघ जैसे देश बिना किसी जुर्माने के बड़ी मात्रा में रूसी तेल का आयात जारी रखे हुए हैं, जबकि भारत को अतिरिक्त शुल्क का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

यह भी देखें : कनाडा में 10,000 फ्लाइट अटेंडेंट हड़ताल पर, 700 उड़ानें रद्द