December 1, 2025

पुतिन की भारत यात्रा: पीएम मोदी के साथ किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

पुतिन की भारत यात्रा: पीएम मोदी के साथ...

नई दिल्ली, 27 नवंबर : भारतीय कंपनियों द्वारा रूस से तेल खरीद सीमित करने के स्पष्ट संकेत दिए जाने के बावजूद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की आगामी भारत यात्रा के दौरान कच्चे तेल का व्यापार एक बड़ा मुद्दा रहेगा। दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर सम्मेलन में, रूसी राष्ट्रपति भारत को रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़ाने के लिए हर संभव रियायत देने की पेशकश कर सकते हैं।

भारत यात्रा का मुख्य मुद्दा रूसी तेल व्यापार है।

भारत रूसी अर्थव्यवस्था के लिए जीवन रेखा साबित हुआ है, जो यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों से जूझ रही है, लेकिन भारत से रूसी तेल आयात में हाल ही में आई गिरावट ने मास्को को चिंतित कर दिया है।

राजनयिक और उद्योग सूत्रों का कहना है कि रूसी पक्ष ने भारत को पहले ही संकेत दे दिया है कि भारतीय तेल कंपनियों को पहले दी गई रियायतें भविष्य में भी जारी रह सकती हैं। भारतीय तेल उद्योग के सूत्रों ने बताया कि रूसी तेल आपूर्तिकर्ताओं के साथ हाल की बातचीत से स्पष्ट संकेत मिला है कि वे किसी भी कीमत पर भारत, जो एक प्रमुख ऊर्जा खरीदार है, को छोड़ने को तैयार नहीं हैं। रूस अगले दो दशकों में अपने सभी प्रमुख तेल उत्पादक क्षेत्रों से तेल उत्पादन बढ़ाने की योजना बना रहा है।

भारत ने तेल रियायतें जारी रखने की पेशकश की

इस बढ़ते उत्पादन का उपभोग केवल भारत जैसी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ही कर पाएगी। पिछले दो वर्षों (2023-2025) में रूस के कुल कच्चे तेल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।

2021 में भारत के कुल आयात में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी महज तीन प्रतिशत थी, जो 2024 तक बढ़कर 37 प्रतिशत हो गई। वित्त वर्ष 2024-25 में रूस 35 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्तिकर्ता बन गया।

अक्टूबर 2025 में रूस के कुल तेल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत थी, जिससे यह चीन (47 प्रतिशत) के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार बन गया। यह वृद्धि रियायती रूसी तेल के कारण हुई, जिसने भारतीय रिफाइनरियों, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज की जामनगर रिफाइनरी को आकर्षित किया।

कुल मिलाकर, 2024 में भारत को रूस का निर्यात 67.15 अरब डॉलर का था, जिसमें कच्चे तेल का योगदान सबसे ज़्यादा था। अब, स्थिति में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।

भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वह रूसी कच्चे तेल का आयात बंद कर देगी, जबकि दिसंबर में कुल आयात तीन साल के निचले स्तर पर पहुँच सकता है। भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है, और अपनी हिस्सेदारी खोना रूसी तेल उद्योग पर गंभीर दबाव का संकेत है। यूक्रेन में युद्ध और अमेरिकी-यूरोपीय प्रतिबंधों ने रूसी अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।

2025 में रूस की जीडीपी वृद्धि दर एक प्रतिशत से भी कम रहने का अनुमान है। मुद्रास्फीति आठ प्रतिशत से ज़्यादा है। यही वजह है कि रूस हर कीमत पर भारत के साथ कच्चे तेल का व्यापार जारी रखना चाहता है। रूसी तेल उद्योग द्वारा चुकाए जाने वाले कर रूस के कुल राजस्व का 40 प्रतिशत हैं। फ़िलहाल, रूस के लिए भारत जैसे बड़े खरीदार का विकल्प ढूँढ़ना मुश्किल है।

एक तो प्रतिबंधों के कारण यह मुश्किल है, और दूसरा, चीन के अलावा किसी और देश के पास इतना तेल खरीदने की क्षमता नहीं है। पुतिन चार साल बाद भारत आ रहे हैं। इससे पहले, वे दिसंबर 2021 में, यूक्रेन-रूस युद्ध छिड़ने से ठीक पहले (फरवरी 2022) भारत आए थे।

रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा संभव

माना जा रहा है कि उस यात्रा ने भारत के लिए फरवरी 2022 के बाद रूस से अधिक कच्चा तेल खरीदने का रास्ता साफ कर दिया है। अब, जबकि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा ठोस पहल की जा रही है, पुतिन फिर से नई दिल्ली में होंगे।

अधिकारियों का कहना है कि आगामी भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में रक्षा और ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग मुख्य विषय होंगे। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय ने यह भी कहा है कि इस यात्रा का मुख्य विषय आर्थिक साझेदारी होगा।