मुंबई, 5 दिसम्बर : भारतीय रिज़र्व बैंक (आर.बी.आई.) ने मौजूदा तरलता (लिक्विडिटी) की स्थिति को देखते हुए प्रणाली में अतिरिक्त नकदी डालने का फैसला लिया है। इस लिए आर.बी.आई. दिसंबर महीने में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड की खरीद (ओ.एम.ओ. ओपन मार्केट ऑपरेशन) करेगा। इसके अलावा, 5 अरब अमेरिकी डॉलर का 3 साल का डॉलर-रुपया स्वैप भी किया जाएगा, जिससे आर्थिक प्रणाली में और स्थिरता आएगी।
नकदी संकट कम करने में मदद मिलेगी
इन मुद्रा उपायों से 15 दिसंबर को एडवांस टैक्स भुगतान की तीसरी किश्त के लिए बैंकिंग प्रणाली पर पड़ने वाले दबाव को देखते हुए नकदी संकट कम करने में मदद मिलेगी। आर.बी.आई. गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मुद्रा नीति समिति (एम.पी.सी.) की अक्टूबर में हुई पिछली बैठक के बाद से प्रणालीगत नकदी इस अवधि के लिए औसतन 1.5 लाख करोड़ रुपये सरप्लस है। प्रणाली में नकदी को नकदी एडजस्टमेंट सुविधा (एल.ए.एफ.) के तहत शुद्ध स्थिति के आधार पर मापा जाता है।
बैंकिंग प्रणाली को आवश्यक टिकाऊ नकदी प्रदान करने के लिए गवर्नर ने बाजार को भरोसा दिलाते हुए कहा, “हम बैंकिंग प्रणाली को आवश्यक टिकाऊ नकदी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम प्रचलन में मुद्रा, विदेशी मुद्रा संचालन और भंडार रख-रखाव में होने वाले परिवर्तनों के कारण बैंकिंग प्रणाली की टिकाऊ नकदी आवश्यकताओं का लगातार मूल्यांकन करते हैं।”
रुपए के लिए कोई लक्षित स्तर नहीं मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक रुपया के लिए कोई विशेष मूल्य स्तर या सीमा तय नहीं करता और बाजार को ही मुद्रा दर तय करने देता है। उनका यह बयान उस समय आया जब रुपया डॉलर के मुकाबले 90.43 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुँच गया।
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