चंडीगढ़, 26 दिसम्बर : 200 मनोवैज्ञानिकों की आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती को चुनौती देने वाली याचिका पर पंजाब सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि 29 जनवरी तक भर्ती प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। कोर्ट ने भी अगली सुनवाई तक किसी भी तरह की नियुक्ति पर रोक लगा दी है।
यह याचिका उन 343 अभ्यर्थियों द्वारा दायर की गई है, जिन्हें मनोवैज्ञानिक पदों के लिए चुना गया था और जो नियुक्ति पत्रों की प्रतीक्षा कर रहे थे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पूरी चयन प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद सरकार ने अचानक भर्ती रद्द कर दी।
अप्रैल में निकला था विज्ञापन
इन 343 पदों के लिए अप्रैल में विज्ञापन जारी किया गया था और पूरी भर्ती प्रक्रिया बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज द्वारा कराई गई थी। लिखित परीक्षा के बाद दस्तावेज़ सत्यापन की प्रक्रिया चल रही थी, तभी 18 दिसंबर को सरकार ने भर्ती रद्द कर दी और उसी दिन निजी एजेंसी के माध्यम से नई भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में कहा कि उन्होंने कड़ी मेहनत कर परीक्षा पास की थी और जॉइनिंग से ठीक पहले भर्ती रद्द करना उनके साथ अन्याय है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आउटसोर्स भर्ती में योग्यता मानदंड कमजोर कर दिए गए हैं।
आउटसोर्स भर्ती पर सवाल
याचिका में कहा गया कि निजी एजेंसी के जरिए होने वाली भर्ती में न तो लिखित परीक्षा होती है और न ही पारदर्शिता, जिससे योग्य उम्मीदवारों का शोषण होता है और उन्हें कम वेतन मिलता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि भर्ती रद्द करने का फैसला प्रशासनिक कारणों से लिया गया था।
साथ ही यूनिवर्सिटी को निर्देश दिए गए हैं कि उम्मीदवारों से ली गई आवेदन फीस वापस की जाए। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि अगली सुनवाई तक किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं की जाएगी, जिससे चयनित अभ्यर्थियों को फिलहाल राहत मिली है।
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