November 20, 2025

पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस का भारत को शक्तिीशाली टैंक देने का ऑफर

पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस का भारत को...

मास्को, 23 जुलाई : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वर्ष भारत की यात्रा पर आने वाले हैं, जो कि यूक्रेन युद्ध के आरंभ के बाद उनकी पहली यात्रा होगी। इस यात्रा से पहले, रूस ने भारत को सुखोई-57 स्टील्थ फाइटर जेट के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। इसके साथ ही, यह भी जानकारी सामने आई है कि रूस अपने अत्याधुनिक टी-14 अर्माटा टैंक के निर्माण के लिए भारत में सहयोग करने के लिए तैयार है।

टी-14 अर्माटा विश्व के सबसे शक्तिशाली टैंकों में एक

टी-14 अर्माटा को विश्व के सबसे शक्तिशाली टैंकों में से एक माना जाता है, और रूस भारतीय सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस टैंक का विशेष संस्करण प्रदान करने की योजना बना रहा है। इस टैंक के निर्माण में रूसी कंपनी एक भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम के तहत काम करने की इच्छा रखती है। भारतीय सेना को अगली पीढ़ी के टैंकों की आवश्यकता है, और भारत ने दशकों से रूस से विभिन्न प्रकार के टैंक, जैसे कि टी-72 और आधुनिक टी-90, का अधिग्रहण किया है।

रूस भारत को देगा अर्माटा टैंक की तकनीक

रूस भारत को अर्माटा टैंक की तकनीक साझा करके संयुक्त रूप से उत्पादन करना चाहता है। भारत में ऐसे ही टी-90 टैंक भी बनते हैं जो अभी भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक हैं। इस टैंक में पूरी तरह से डिजिटल सिस्टम लगा हुआ है और इसके बुर्ज या टुरेट में किसी भी सैनिक के बैठने की जरूरत नहीं होती है।

इसे एआई तकनीक से भी लैस कयिा गया है। इसको चलाने वाले सैनिक चारों ओर से घिरे आर्मर्ड कैप्सूल के अंदर सुरक्षित होते हैं। रूसी सेना के तकनीकी अधिकारी व्लादिमीर द्रोझझोव ने साल 2023 में ही कहा था कि रूस यह तकनीक भारत को साझा करने के लिए तैयार है। अब पुतिन की यात्रा से पहले इस टैंक को लेकर फिर से बातचीत शुरू हो गई है।

भारत और रूस के रिश्ते से ट्रंप भडक़े

भारत और रूस के बीच पिछले कुछ वर्षों से टैंकों के आधुनिकीकरण को लेकर वार्ताएँ चल रही हैं। वर्तमान में भारत के पास मौजूद टी-72 और टी-90 टैंक अब अपनी उम्र के कारण पुरानी तकनीक के प्रतीक बन चुके हैं, और इस समय एक आधुनिक टैंक की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है।

यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब चीन और पाकिस्तान अपनी टैंक क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में, भारत के लिए एक अंतरराष्ट्रीय टेंडर जारी करने की संभावना बढ़ रही है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि भारत राष्ट्रपति पुतिन के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या नहीं।

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