नई दिल्ली, 28 दिसम्बर : चांदी की कीमत 25 लाख रुपये के पार! एक ही दिन में 19,700 रुपये की बंपर बढ़ोतरी; चीन के फैसले ने बाजार में ऐसा भूकंप क्यों ला दिया? 4 प्रमुख कारण। पिछले कुछ दिनों में चांदी की कीमतों में ऐतिहासिक उछाल देखने को मिला है। स्थिति ऐसी है कि चांदी एक ही दिन में 19,000 रुपये से अधिक महंगी हो गई है। शनिवार, 27 दिसंबर को इंदौर के बुलियन बाजार में चांदी की कीमत 19,700 रुपये बढ़कर 2,53,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई।
2025 में अब तक 150% से ज्यादा उछाल
एमसीएक्स के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक चांदी की कीमत में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की कीमत 75 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई है। खास बात यह है कि यह वृद्धि किसी डर या अटकलों के कारण नहीं है। बाजार में चांदी की भौतिक आपूर्ति की कमी और मजबूत औद्योगिक मांग के कारण कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
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चांदी की कीमत में वृद्धि के 4 सबसे बड़े कारण
1. संरचनात्मक कमी (मांग आपूर्ति से अधिक): चांदी कई वर्षों से संरचनात्मक कमी का सामना कर रही है। रिपोर्टों के अनुसार, 2025 तक वैश्विक बाजार में 10 करोड़ औंस से अधिक चांदी की कमी हो सकती है। इस कमी को जल्दी पूरा नहीं किया जा सकता, क्योंकि चांदी का एक बड़ा हिस्सा तांबा, जस्ता और सीसा की खानों से उप-उत्पाद के रूप में निकाला जाता है। एक नई खदान शुरू करने में 10 साल से अधिक का समय लगता है।
2. गोदामों में भंडार घट रहा है: अंतरराष्ट्रीय बाजार (कॉमेक्स), लंदन और शंघाई जैसे प्रमुख भंडारों में भंडार लगातार घट रहा है। भंडार घटने से चांदी की उपलब्धता कम हो जाती है, जिसके कारण खरीदार कागजी अनुबंधों के बजाय असली चांदी खरीदने की ओर रुख कर रहे हैं।
3. औद्योगिक मांग बेहद मजबूत है: आज चांदी की 50-60% मांग उद्योगों से आती है—विशेष रूप से सौर पैनलों, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी), इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा क्षेत्रों से। सौर क्षेत्र में चांदी के विकल्प सीमित हैं, इसलिए हरित ऊर्जा पर बढ़ते खर्च ने मांग को और भी बढ़ा दिया है।
4. चीन का प्रभाव: निर्यात नियंत्रण का डर: ऐसी चर्चा है कि चीन 1 जनवरी, 2026 से चांदी के निर्यात को सख्त कर सकता है। दावा किया जा रहा है कि चीनी सरकार चांदी के निर्यात के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू कर सकती है। चीन दुनिया के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है, ऐसे में सीमित आपूर्ति के डर से निवेशक पहले से ही चांदी खरीद रहे हैं।
अब आगे क्या: निवेश करें या नहीं?
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि चांदी की इस तेजी का आधार है। मुद्रास्फीति की चिंताओं और अचल संपत्तियों की मांग से चांदी को समर्थन मिल रहा है। हालांकि, चांदी अस्थिर होती है और अल्पावधि में इसमें उतार-चढ़ाव आ सकता है। 2026 में कीमतें लगभग 80 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं।
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