नई दिल्ली, 29 सितम्बर : हाल ही में नेपाल के युवाओं (जनरेशन Z) ने देश की सरकार के खिलाफ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन इतना व्यापक था कि केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया, जिससे जेनरेशन ज़ेड के लोग नाराज़ हो गए और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए, यहाँ तक कि सरकारी कार्यालयों में तोड़फोड़ भी की गई। अंततः, सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ा और सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।
यह आन्दोलन पेरू में क्यों शुरू हुआ?
इस साल, जेनरेशन ज़ेड के विरोध प्रदर्शन कई देशों में देखे गए हैं। इनकी शुरुआत इंडोनेशिया से हुई थी और अब पेरू में युवाओं ने इसमें अगुवाई की है। 27 सितंबर को पेरू की राजधानी लीमा में हज़ारों युवाओं ने राष्ट्रपति दीना बोलुआर्टे के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया और नारे लगाए।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया, जिसका जवाब युवाओं ने पत्थरबाज़ी से दिया। पेंशन व्यवस्था में बदलाव के बाद 20 सितंबर को विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था।
नए नियम के अनुसार, पेरू में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को पेंशन कंपनी में शामिल होना अनिवार्य है। इसके अलावा, राष्ट्रपति बोलुआर्टे और संसद के खिलाफ जनता में लंबे समय से असंतोष व्याप्त है।
अब तक किन देशों में जनरेशन जेड विरोध प्रदर्शन हुए हैं?
इस साल 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच, इंडोनेशिया में युवाओं ने संसद सदस्यों के वेतन में वृद्धि के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इन विरोध प्रदर्शनों में आठ लोगों की मौत हो गई। विरोध प्रदर्शनों के दबाव के बाद, राष्ट्रपति प्रबोवो ने आवास भत्ता निलंबित कर दिया।
1 सितंबर को नीदरलैंड में भी युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया। वे सरकार द्वारा इज़राइल को दिए जा रहे समर्थन से नाराज़ थे। विरोध प्रदर्शनों के बाद, सरकार ने नीति बदलने का वादा किया।

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