बीजिंग, 7 जुलाई : एक समय पूरा जीवन चीन का राष्ट्रपति बने रहने की योजना बना रहे शी जिनपिंग अब अचानक सेवानिवृत्ति की तैयारियों में जुट गए हैं। शी ने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के प्रमुख संस्थानों को अधिकार सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह उनकी 12 वर्षों से अधिक की सत्ता के दौरान पहली बार देखा गया है, जिसने यह संकेत और अटकलें तेज कर दी हैं कि वह या तो व्यवस्थित तरीके से सत्ता हस्तांतरण की तैयारी कर रहे हैं या फिर अपनी भूमिका को सीमित कर संभावित सेवानिवृत्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
हाल ही में सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रिपोर्ट किया कि 30 जून को सीपीसी के शक्तिशाली 24 सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता खुद शी जिनपिंग ने की। इस बैठक में पार्टी संस्थाओं के कामकाज को लेकर नए नियमों की समीक्षा की गई। इन नियमों के तहत सीपीसी केंद्रीय समिति के निर्णय लेने, चर्चा करने, और समकक्ष संस्थाओं की स्थापना, जिम्मेदारियां और संचालन को नए मानकों के अनुसार ढाला जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शी की योजना या तो सत्ता बनाए रखने की है या फिर 2027 में होने वाली पार्टी कांग्रेस से पहले सत्ता साझेदारी की ओर बढ़ने की।
अंदरूनी संघर्षों की अटकलें
पिछले कुछ महीनों में विदेशी चीनी-विरोधी समुदायों में पार्टी के अंदर सत्ता संघर्ष की चर्चाएं भी तेज़ हो गई थीं। एक चीन-आधारित राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि पार्टी निकायों पर नए नियमों की बात शी के सेवानिवृत्ति की योजना का संकेत हो सकती है।
माओ ज़ेडोंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले शी, यदि कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप रहे हैं, तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि वह अब नीतिगत और रणनीतिक मुद्दों पर ज़्यादा फोकस करना चाहते हैं, न कि प्रतिदिन के प्रशासनिक कार्यों पर।
अर्थव्यवस्था भी कारण बनी
शी जिनपिंग ने हाल ही में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया। यह पहली बार है जब चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में भाग नहीं लिया।
यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ युद्ध नीति के चलते चीन की 440 अरब डॉलर की अमेरिका को निर्यात पर असर पड़ा है। नतीजतन, चीन को आर्थिक मंदी, विकास दर में गिरावट, और रियल एस्टेट बाजार के पतन जैसी गहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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