चंडीगढ़, 29 नवम्बर : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने राज्य में अवैध रूप से चल रहे वाहनों के खिलाफ अपने पूर्व आदेशों की अनदेखी करने पर पंजाब सरकार के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। न्यायालय ने इस बात पर नाराजगी जताई कि न तो समय पर जवाब दाखिल किया गया और न ही पूर्व में लगाए गए जुर्माने का पालन किया गया।
न्यायमूर्ति सुधिपति शर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा कि अधिकारियों का न्यायालय के प्रति रवैया उदासीन और गैर-ज़िम्मेदाराना है। न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत तीनों रिपोर्टों में अलग-अलग तथ्य पाए गए, जिन्हें न्यायाधीश ने प्रशासनिक त्रुटि ही नहीं, बल्कि न्यायालय की स्पष्ट अवमानना बताया।
इन अधिकारियों पर हुई कर्रवाई
जिन चार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी वे हैं गौरव यादव , डीजीपी पंजाब, प्रदीप कुमार (आईएएस) , सचिव परिवहन, मनीष कुमार (आईएएस) , राज्य परिवहन आयुक्त, जितेंद्र जोरवाल (आईएएस) , डिप्टी कमिश्नर संगरूर।
यह कार्रवाई शहीद भगत सिंह मिनी ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर की गई, जिसमें उच्च न्यायालय के 20 सितंबर, 2023 के आदेश के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया था, जिसमें मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत अवैध रूप से संशोधित वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया गया था।
10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया
अदालत ने बताया कि चारों अधिकारियों ने आदेशों के पालन के संबंध में हलफनामा भी दाखिल नहीं किया । इसी वजह से अदालत ने चारों पर कुल 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जो उनके निजी वेतन से बराबर-बराबर काटकर पंजाब मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि अगली सुनवाई तक आदेशों का पालन नहीं किया गया तो आदेशों की अवज्ञा अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी ।
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