November 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अंग प्रत्यारोपण के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने का निर्देश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अंग प्रत्यारोपण के लिए...

नई दिल्ली, 19 नवम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों के साथ परामर्श करके एक राष्ट्रीय नीति और समान नियम बनाए ताकि अंगदान और वितरण के लिए एक पारदर्शी और कुशल प्रणाली बनाई जा सके। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने इंडियन सोसाइटी ऑफ ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह निर्देश दिए।

सीजेआई ने अपने आदेश में केंद्र से आंध्र प्रदेश को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में 2011 के संशोधनों को अपनाने के लिए राजी करने का आग्रह किया। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि कर्नाटक, तमिलनाडु और मणिपुर जैसे राज्य, जिन्होंने अभी तक मानव अंग और कोशिका प्रत्यारोपण नियम, 2014 को नहीं अपनाया है, उन्हें इसे जल्द से जल्द अपनाना चाहिए।

राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को क्या बताया?

पीठ ने केंद्र से अंग प्रत्यारोपण के लिए आदर्श आवंटन मानदंडों के साथ एक राष्ट्रीय नीति विकसित करने को कहा। इसने कहा कि नीति को लिंग और जाति के पूर्वाग्रह के मुद्दों को संबोधित करना चाहिए। राज्यवार असमानताओं को खत्म करने के लिए देश भर में अंग दाताओं के लिए एक समान मानदंड स्थापित किए जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने मणिपुर, नागालैंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे राज्यों में राज्य अंग और कोशिका प्रत्यारोपण संगठनों (एसओटीओ) की कमी पर ध्यान दिया

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने कहा कि अंगदाताओं और प्राप्तकर्ताओं का राष्ट्रीय डेटाबेस उपलब्ध न होना चिंताजनक है। इससे राज्यों में यह प्रक्रिया धीमी हो रही है। लगभग 90 प्रतिशत नेत्र प्रत्यारोपण निजी अस्पतालों में होते हैं।