काठमांडू, 13 सितम्बर – नेपाल में एक नया इतिहास रचते हुए सुशीला कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बन गई हैं। इससे पहले वे नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। 73 वर्षीय कार्की का यह राजनीतिक सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि नेपाली राजनीति और न्यायपालिका के लिए एक मील का पत्थर भी है।
न्यायपालिका से राजनीति तक का सफर
सुशीला कार्की को जुलाई 2016 में नेपाल की 24वीं मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। करीब 11 महीने के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद फैसले सुनाए। उस समय की शेर बहादुर देउबा सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था, जिसे बाद में राजनीतिक पक्षपात माना गया और वापस ले लिया गया।
सादा जीवन, उच्च विचार
कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर के पास एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। 1978 में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और 32 वर्षों तक कानून के क्षेत्र में काम किया। 2009 में वे सुप्रीम कोर्ट की तदर्थ न्यायाधीश बनीं और 2010 में स्थायी नियुक्ति मिली।
क्रांतिकारी सोच की साथी
सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी नेपाली कांग्रेस के एक प्रमुख नेता और 1970 के दशक में पार्टी की सशस्त्र क्रांति के सक्रिय सदस्य थे। सुबेदी उन क्रांतिकारियों में शामिल थे जिन्होंने नेपाल की पार्टीविहीन पंचायत व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया और इसके लिए रॉयल नेपाल एयरलाइंस के एक विमान का अपहरण कर 30 लाख रुपये जुटाए। इस ऐतिहासिक घटना पर उन्होंने 2018 में “एयरप्लेन रिबेलियन” नामक किताब भी लिखी।
लेखन और सक्रियता
सेवानिवृत्त होने के बाद भी कार्की ने दो किताबें लिखी हैं, जिनमें उन्होंने अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया है। उनका लेखन, न्यायिक कार्य और अब प्रधानमंत्री के रूप में भूमिका – सभी मिलकर उन्हें नेपाली समाज की एक आदर्श महिला नेता के रूप में स्थापित करते हैं।
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