चंडीगढ़, 29 नवम्बर : अमृतसर के पास वाघा बॉर्डर पर बिजली का झटका लगने से एक शिक्षक की मौत के मामले में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पीड़ित परिवार को 60 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा देने के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ केंद्र की अपील को खारिज कर दिया है। जानकारी के अनुसार, 2013 में 32 वर्षीय शिक्षक नरिंदर कुमार वाघा बॉर्डर पर ‘बीटिंग द रिट्रीट’ समारोह देखने गए थे।
परिवार को मुआवजा देने का आदेश
समारोह समाप्त होने के बाद भीड़ बढ़ गई और इस दौरान वह एक टूटे हुए जंक्शन बॉक्स पर चढ़ गए। बॉक्स में बिजली का तार खुला हुआ था, जिससे उन्हें करंट लग गया और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। फरवरी 2023 में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इस घटना के लिए बीएसएफ और पंजाब राज्य बिजली निगम दोनों को जिम्मेदार ठहराया था और परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया था।
केंद्र सरकार और पंजाब बिजली निगम ने इस आदेश को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी और न्यायमूर्ति विकास सूरी की पीठ ने बिजली निगम की अपील स्वीकार करते हुए उसे दायित्व से मुक्त कर दिया। कोर्ट ने माना कि दुर्घटनास्थल बीएसएफ के विशेष नियंत्रण में है, इसलिए बिजली निगम को जिम्मेदार ठहराने की जरूरत नहीं है, लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीड़ित ने लापरवाही से प्रवेश किया था। अदालत ने पाया कि क्षेत्र की पूरी तरह से घेराबंदी नहीं की गई थी और किसी को भी उस क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकना बीएसएफ का कर्तव्य था।
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