December 16, 2025

केंद्र ने मनरेगा स्कीम को बदल कर ‘जी राम जी’ किया, विपक्ष का विरोध

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नई दिल्ली, 16 दिसम्बर : केंद्र सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में लोकसभा में विकसित भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 पेश करने जा रही है, जो एमजीएनआरईजीए का स्थान लेगा। विधेयक की प्रति के अनुसार, प्रत्येक गांव के वयस्क परिवार सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में 125 दिनों के रोजगार की वैधानिक गारंटी प्रदान की जाएगी। राज्यों को ‘विकास भारत गारंटी रोजगार एवं आजीविका मिशन अधिनियम’ के लागू होने की तिथि से छह महीने के भीतर नए कानून के प्रावधानों के अनुसार योजना को लागू करना होगा।

इस योजना का वित्तीय भार केंद्र और राज्य सरकारों पर पड़ेगा। उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिए, केंद्र 90 प्रतिशत लागत वहन करेगा, जबकि अन्य राज्यों के लिए यह 60 प्रतिशत वहन करेगा। विधानसभाविहीन केंद्र शासित प्रदेशों में, केंद्र मजदूरी प्रदान करेगा। यदि कोई राज्य अधिक खर्च करता है, तो वह भार स्वयं वहन करेगा। मजदूरी केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करके निर्धारित की जाएगी।

विधेयक में कहा गया है कि यह मौजूदा एमजीएनआरईजीए योजना की दरों से कम नहीं होना चाहिए। यदि किसी को 15 दिनों के भीतर कोई काम नहीं दिया जाता है, तो उसे बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा, जिसका भुगतान राज्यों को करना होगा।

लोकसभा सदस्यों को विधेयक की प्रतियां वितरित कर दी गई हैं। इस विधेयक का उद्देश्य ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है। विधेयक सोमवार को लोकसभा में सूचीबद्ध किया गया। विधेयक के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि एमजीएनआरईजीए ने 20 वर्षों से अधिक समय से ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी दी है। उन्होंने कहा कि गांवों में आए बदलावों को देखते हुए इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है।

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