भुवनेश्वर, 12 दिसंबर : ओडिशा के सरकाना गांव में एक बेटी ने वो कर दिखाया जो अब तक बेटों का अधिकार माना जाता था। दीप्तिलता नाम की इस बेटी ने न सिर्फ अपने पिता की मृत्यु के बाद चिता को अग्नि दी, बल्कि पूरे श्रद्धापूर्वक शोक के सभी रीति-रिवाज भी निभाए। इस घटना की पूरे क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है और लोग इसे सामाजिक सोच में बदलाव का एक बड़ा संदेश बता रहे हैं।
1 दिसंबर को अपने पिता के निधन के बाद, दीप्तिलता ने पूरे रीति-रिवाज के साथ चिता को अग्नि दी। परिवार में कोई पुत्र न होने के कारण अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उन पर आ पड़ी और उन्होंने इसे बिना किसी संकोच के स्वीकार कर लिया। परिवार में दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी प्रीति, जो विवाह के बाद अपने ससुराल में रहती है, और छोटी बेटी दीप्तिलता, जो अपने माता-पिता के साथ रहती है।
सभी अनुष्ठानों का पूर्ण पालन
अंत्येष्टि के बाद, दीप्तिलाता ने पूर्ण अनुशासन के साथ सभी पारंपरिक शोक अनुष्ठान संपन्न किए। दसवें दिन, उन्होंने मुंडन संस्कार भी किया, जो परंपरागत रूप से पुत्रों द्वारा संपन्न किया जाता है।
ग्रामीणों ने सम्मान किया
दीप्तिलता के इस कदम का गांव में कहीं से भी विरोध नहीं हुआ। बल्कि, ग्रामीणों और पड़ोसियों ने उसके साहस, समर्पण और पिता के प्रति उसकी जिम्मेदारी की भावना की प्रशंसा की।
बड़ी बहन प्रीति और बहनोई ने भी दीप्तिलता के इस फैसले पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि परिवार में बेटा न होने पर भी बेटी हर जिम्मेदारी निभाने में सक्षम होती है। दीप्तिलता ने पूरे परिवार को आश्वस्त किया कि बेटियां किसी भी तरह से कमतर नहीं होतीं।

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