नई दिल्ली, 13 नवम्बर : पिछले महीने ब्राज़ील की राजधानी रियो डी जेनेरियो में हुए सैन्य हमले में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। 28 अक्टूबर को ऑपरेशन कंटेनमेंट के बाद, शहर के कई इलाकों में सड़कों पर लाशों की लंबी कतारें देखी गईं।
इस अभियान में 2,500 पुलिसकर्मी और सैनिक शामिल थे। पुलिस की गोलीबारी में 132 लोग मारे गए, जिनमें ब्राज़ील के सबसे कुख्यात और खूंखार “रेड कमांडो गिरोह” के 117 सदस्य भी शामिल थे।
118 हथियार, 14 विस्फोटक और एक टन नशीले पदार्थ जब्त किये गये।
रेड कमांड गैंग क्या है?
रेड कमांड गिरोह ब्राज़ील का सबसे कुख्यात आपराधिक नेटवर्क है। यह मादक पदार्थों की तस्करी में भी शामिल है। रेड कमांड की शुरुआत 1979 में रियो की कैंडिडो मेंडेस जेल में हुई थी, जहाँ आम अपराधियों और राजनीतिक कैदियों को एक साथ रखा जाता था। जेल में, अपराधियों ने मिलकर “फ्लैकाओ वर्मेला” नामक एक संगठन बनाया।
रिपोर्टों के अनुसार, यह गिरोह ब्राज़ील की राजनीति और समाज पर हावी है। इसके 30,000 से ज़्यादा सक्रिय सदस्य हैं। रेड कमांड गिरोह की वार्षिक अवैध आय 2.27 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा होने का अनुमान है। 1980 के दशक तक, रियो के 70% ड्रग केंद्रों पर इसका नियंत्रण था।
काले बाजार में दवाओं की गहरी पैठ है।
रेड कमांड गिरोह कोकीन और नशीले पदार्थों के व्यापार का निर्विवाद सरगना बन गया है। यह सोने और हथियारों की तस्करी से लेकर कच्चे तेल, शराब और निर्माण क्षेत्र तक के कारोबार को भी संभालता है। इसके सदस्य अब केवल आपराधिक गतिविधियों तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने पुलिस, राजनीति और व्यावसायिक क्षेत्रों में भी घुसपैठ कर ली है और वहीं से अपनी गतिविधियाँ संचालित कर रहे हैं।

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