October 5, 2025

मोहाली में ए.सी. मंडी की 12 एकड़ जमीन बेचकर मंडी बोर्ड कमाएगा 700 करोड़

मोहाली में ए.सी. मंडी की 12 एकड़ जमीन...

चंडीगढ़, 3 अक्तूबर : मंडी बोर्ड ने मोहाली के फेज 11 के पास 2012 में अकाली-भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई एसी मंडी को बेचने का फैसला किया है। पिछले हफ्ते हुई बोर्ड मीटिंग में 12 एकड़ में बनी इस मंडी को बाजार भाव पर पुडा को देने का प्रस्ताव पास कर भेजा गया था। इसकी पुष्टि करते हुए मंडी बोर्ड के चेयरमैन हरचंद सिंह बर्स्ट ने कहा कि यह मंडी पिछले 11 सालों से बंद थी। उन्होंने अपने 3 साल के कार्यकाल में इसे चलाने की हर संभव कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।

इससे सालाना सिर्फ 45 लाख रुपये की कमाई हो रही थी, अगर हम इस मंडी को बेचकर 6 से 700 करोड़ रुपये इकट्ठा करते हैं, तो हमारी योजना 200 एकड़ में राज्य की सबसे बड़ी और आधुनिक मंडी बनाने की है। ऐसी ही एक मंडी हरियाणा सरकार ने गन्नौर में स्थापित की है।

यह जमीन हमेशा विवादों में रही

मंडी बोर्ड की यह जमीन हमेशा विवादों में रही है। इससे पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2002-07 के कार्यकाल में इस जमीन को रिलायंस को देने की योजना तैयार की थी। रिलायंस कंपनी फार्म टू फोक योजना के तहत इस जमीन का अधिग्रहण करना चाहती थी। मंडी बोर्ड की इस 20 एकड़ जमीन पर इतना विवाद हुआ कि सरकार को यह योजना वापस लेनी पड़ी। इसके बाद अकाली-भाजपा सरकार ने यहां सेक्टर-17 में मंडी बोर्ड का मुख्यालय बनाने और इसके साथ ही 12 एकड़ में एसी मंडी और पांच एकड़ में एक व्यावसायिक शोरूम बनाने का फैसला किया।

ज़मीनों को पुडा को हस्तांतरित करने का फैसला किया

इसका उद्घाटन 8 फरवरी 2014 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किया था। बोर्ड के मुख्यालय, मंडी आदि के निर्माण पर 49 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन मंडी एक दिन भी ठीक से काम नहीं कर सकी। इसलिए बोर्ड ने करोड़ों रुपये की इस संपत्ति को बेचने का फैसला किया।

गौरतलब है कि जागरण समूह ने कल एक खबर प्रकाशित की थी, जिसके अनुसार मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने सभी विभागों के साथ बैठक कर सरकारी भूमि के इष्टतम उपयोग नीति के तहत खाली पड़ी उन ज़मीनों को पुडा को हस्तांतरित करने का फैसला किया है जिनका उपयोग नहीं किया जा सकता। मंडी बोर्ड के उप महाप्रबंधक (संपदा) ने इस संबंध में 26 सितंबर को आवास एवं शहरी विकास विभाग के प्रशासनिक सचिव को पत्र लिखा है।

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