November 20, 2025

बच्चों में बढ़ रही है हाई बीपी की समस्या, इसके कारण और बचाव के तरीके

बच्चों में बढ़ रही है हाई बीपी की समस्या...

नई दिल्ली, 19 नवम्बर : इस सदी की शुरुआत से बच्चों में उच्च रक्तचाप का प्रचलन दोगुना हो गया है। कई बच्चों में इसके स्पष्ट लक्षण दिखाई नहीं देते, जिससे स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ती जाती है। किशोरावस्था में प्रवेश करने से पहले ही वे हृदय, गुर्दे और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के संभावित शिकार बन जाते हैं।

खराब खान-पान और गतिहीन जीवनशैली

खराब खान-पान और गतिहीन जीवनशैली बच्चों को उच्च रक्तचाप की ओर धकेल रही है। द लैंसेट की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 11.4 करोड़ बच्चे उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। बच्चों में उच्च रक्तचाप में तेज़ी से हो रही वृद्धि पर माता-पिता और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ बच्चों में, रक्तचाप का स्तर शुरुआत में तेज़ी से बढ़ता है और 14 साल की उम्र के आसपास, खासकर लड़कों में, चरम पर पहुँच जाता है।

इस दौरान नियमित जाँच ज़रूरी है। इस समस्या का मुख्य कारण बचपन में बढ़ता मोटापा है, जिसे थोड़े से प्रयास से रोका जा सकता है। रिपोर्टों के अनुसार, मोटापे और टाइप 2 मधुमेह के साथ-साथ इस उम्र में अस्थमा और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का ख़तरा भी बढ़ रहा है। हमें यह समझना चाहिए कि स्वस्थ बच्चे ही स्वस्थ वयस्क बनेंगे, इसलिए बचपन में ही आहार और व्यायाम जैसी आदतें विकसित करने की ज़रूरत है। उच्च रक्तचाप के इतिहास वाले परिवारों को अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से चिंतित रहने की ज़रूरत है।

अपने बच्चे का रक्तचाप और बीएमआई जांच कराएं

वर्ष 2000 तक उच्च रक्तचाप को बुज़ुर्गों की बीमारी माना जाता था, लेकिन पिछले दो दशकों में बच्चे और किशोर भी इसके शिकार हो रहे हैं। अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो बच्चे युवावस्था में ही उच्च रक्तचाप के कारण हृदय और गुर्दे की बीमारी का शिकार हो जाएँगे। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन मोटापा और आनुवंशिकता मुख्य हैं। लगभग हर पाँच में से एक मोटा बच्चा उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। इनमें से 50 प्रतिशत को तो पता ही नहीं होता कि उन्हें उच्च रक्तचाप है।

कारण क्या हैं?

मोबाइल टीवी देखने में ज़्यादा समय बिताना, पढ़ाई का अतिरिक्त दबाव, नींद की कमी, कम फल-सब्ज़ियाँ खाना, मीठा खाना, खेलकूद से परहेज़ और फ़ास्ट फ़ूड का ज़्यादा सेवन बच्चों में इंसुलिन प्रतिरोध और फैटी लिवर का कारण बनता है। क्रोनिक किडनी रोग, रिफ्लक्स नेफ्रोपैथी, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, हाइपरथायरायडिज्म, कुशिंग सिंड्रोम और जन्मजात एड्रेनल हाइपरप्लासिया भी बच्चों में उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाते हैं। हृदय रोग जैसे धमनियों का धमनीकाठिन्य, स्टेरॉयड, गर्भनिरोधक गोलियाँ, दवाएँ और स्लीप एपनिया भी बच्चों में उच्च रक्तचाप के जोखिम को बढ़ाते हैं।

इसके क्या कारण हो सकते हैं?

मोटापा और अधिक वजन, खराब जीवनशैली, खराब आहार, अत्यधिक नमक का सेवन, किशोरावस्था के दौरान होने वाले परिवर्तनों की जांच का अभाव

कैसे रोकें?

बच्चों का रक्तचाप और बीएमआई हर साल जाँचना ज़रूरी है। उन्हें संतुलित और पौष्टिक आहार दें। उन्हें बाहरी गतिविधियों में शामिल करें। तनाव से बचने के लिए उन्हें परामर्श और ध्यान के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें जंक फ़ूड और मीठे खाद्य पदार्थों से दूर रखें। पढ़ाई के अत्यधिक दबाव से बचें।

स्क्रीन देखने का समय एक घंटे तक सीमित रखें। खाने में नमक कम करें, उन्हें ताज़े फल और सब्ज़ियाँ खिलाएँ और आठ घंटे की नींद पूरी करवाएँ। याद रखें कि अगर आपका बच्चा मोटा है, तो वयस्क होने पर उसे उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह, दिल का दौरा, स्ट्रोक, खराब कोलेस्ट्रॉल, फैटी लिवर, स्लीप एपनिया, गुर्दे की बीमारी और कुछ प्रकार के कैंसर होने की संभावना तीन से चार गुना ज़्यादा होती है।

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