नई दिल्ली, 16 अगस्त : पिछले दो दशकों में घरेलू क्षेत्र में तेल और गैस भंडार खोजने के प्रयासों के बहुत उत्साहजनक परिणाम नहीं मिले हैं। भारत अपनी कुल तेल खपत का 87 प्रतिशत आयात करता है।
समुद्र के नीचे तेल और गैस भंडार की खोज की घोषणा
ऐसे में शुक्रवार को लाल किले से स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरे समुद्र के नीचे तेल और गैस भंडार खोजने का काम मिशन मोड पर शुरू करने की घोषणा की।
हाल के दिनों में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में बड़े हाइड्रोकार्बन भंडार की खोज के संकेत दिए हैं, इसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत वर्तमान में अपनी ज़रूरतों के लिए रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, जिससे अमेरिका के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हो रहे हैं। तेल और गैस उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
देश ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर होगा
यही कारण है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में दो बार इस बात का जिक्र किया कि देश को विदेशों से ऊर्जा आयात करने पर कितना पैसा खर्च करना पड़ता है और इसका समाधान तभी होगा जब देश ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनेगा।
सबसे पहले उन्होंने कहा कि हम ऊर्जा के लिए कई देशों पर निर्भर हैं, हमें पेट्रोल-डीज़ल-गैस के आयात पर लाखों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसे लाने के लिए हमें लाखों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इस संकट से देश को आत्मनिर्भर बनाना, ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। 11 सालों में सौर ऊर्जा का उत्पादन 30 गुना बढ़ा है।
भारत परमाणु ऊर्जा के लिए 10 नए रिएक्टरों पर काम कर रहा है। जलविद्युत का विस्तार किया जा रहा है, मिशन ग्रीन हाइड्रोजन में हज़ारों करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है। परमाणु ऊर्जा की क्षमता को दस गुना बढ़ाने का संकल्प लिया गया है। परमाणु ऊर्जा के लिए 10 नए रिएक्टरों पर काम चल रहा है।
इसके बाद उन्होंने फिर तेल और गैस आयात पर होने वाले भारी खर्च का जिक्र किया और कहा, “अगर हम ऊर्जा के लिए दूसरों पर निर्भर न होते, तो यह पैसा युवाओं के भविष्य, गरीबी के खिलाफ लड़ाई, देश के किसानों के कल्याण और गांवों की स्थिति बदलने के लिए इस्तेमाल होता, लेकिन हमें इसे विदेशों को देना पड़ रहा है।”
गैस भंडार खोजने का काम मिशन मोड में – प्रधानमंत्री
उन्होंने आगे कहा, “अब हम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहे हैं। देश को विकसित बनाने के लिए, अब हम समुद्र मंथन की ओर भी बढ़ रहे हैं। समुद्र मंथन को आगे बढ़ाते हुए, हम समुद्र के अंदर तेल और गैस के भंडार खोजने के लिए मिशन मोड में काम करना चाहते हैं। इसलिए, भारत राष्ट्रीय गहन जल अन्वेषण मिशन शुरू किया जा रहा है।”
आज पूरी दुनिया महत्वपूर्ण खनिजों के प्रति बहुत जागरूक हो गई है, लोग इनकी क्षमता को अच्छी तरह समझने लगे हैं। कल तक जिस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था, वो आज केंद्र में आ गया है। महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भरता हमारे लिए भी बहुत ज़रूरी है। हम महत्वपूर्ण खनिजों पर भी काम कर रहे हैं। हम आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चाहे ऊर्जा क्षेत्र हो, औद्योगिक क्षेत्र हो, रक्षा क्षेत्र हो, टेक्नोलॉजी का कोई भी क्षेत्र हो, आज टेक्नोलॉजी में महत्वपूर्ण खनिज बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इसीलिए हमने एक राष्ट्रीय महत्वपूर्ण मिशन शुरू किया है, 1200 से ज्यादा स्थानों पर अन्वेषण अभियान चल रहा है, और हम महत्वपूर्ण खनिजों में भी आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहे हैं।
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