नई दिल्ली, 3 जून : दिल्ली-एनसीआर में कबूतरों की बढ़ती संख्या और सडक़ों की सफाई के दौरान उडऩे वाली धूल के कारण एक छात्र ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) में याचिका दायर की है। याचिका में यह उल्लेख किया गया है कि कबूतरों की बीट से उत्पन्न होने वाले जहरीले कण वायु में मिलकर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहे हैं।
एन.जी.टी. ने सरकार को दिया नोटिस
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए एनजीटी ने सरकार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके अतिरिक्त, नगर निगम (एम.सी.डी.) शहर में कबूतरों को दाना डालने के स्थानों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है, ताकि कबूतरों की बढ़ती आबादी से उत्पन्न स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सके।
फेफड़ों में बीमारी का खतरा
जब इन जगहों पर झाड़ू लगाई जाती है तो सूख चुकी बीट से निकलने वाले जहरीले कण धूल में मिल जाते हैं। इससे हवा और भी ज्यादा प्रदूषित हो जाती है और लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो जाता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन प्रदूषकों के संपर्क में आने से फेफड़ों की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
इनमें हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनिटिस भी शामिल है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें फेफड़ों में सूजन हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है और फेफड़ों में निशान पड़ जाते हैं।
दाना डालने पर प्रतिबंध की तैयारी
बताया जा रहा है कि एम.सी.डी. शहर में कबूतरों को दाना डालने के स्थानों पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो सडक़ों, चौराहों और सडक़ के किनारों पर बने कबूतरों को दाना डालने के स्थान बंद हो सकते हैं।
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