नई दिल्ली, 28 नवम्बर : व्हाइट हाउस के पास हुए आतंकी हमले के बाद ट्रंप प्रशासन हरकत में दिख रहा है। शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अमेरिका हर चिंताजनक देश से आए सभी प्रवासियों को जारी किए गए ग्रीन कार्ड की सख्ती से दोबारा जांच करेगा। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के निदेशक जोसेफ एडलो ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर वे ‘एलियंस’ (चिंताजनक देशों से अमेरिका आए प्रवासियों) के ग्रीन कार्ड की सख्ती से दोबारा जांच करेंगे।
व्हाइट हाउस के पास गोलीबारी
उन्होंने कहा कि अमेरिका और उसके लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। उन्होंने पूर्ववर्ती जो बाइडेन प्रशासन पर लापरवाह पुनर्वास नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने आगे कहा, “इस देश और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। अमेरिकी लोग पूर्ववर्ती प्रशासन की लापरवाह पुनर्वास नीति की कीमत नहीं चुकाएँगे। अमेरिकी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।”
ग्रीन कार्ड की पुनः जांच
बुधवार को वाशिंगटन डीसी में व्हाइट हाउस के पास एक नागरिक रहमानुल्लाह लखनवाल ने दो नेशनल गार्ड्स के जवानों पर गोलीबारी की। गोलीबारी में घायल अमेरिकी सेना की विशेषज्ञ सारा बेकस्ट्रॉम (20) की मौत हो गई, जबकि अमेरिकी वायु सेना के स्टाफ सार्जेंट एंड्रयू वुल्फ (24) की हालत गंभीर बनी हुई है।
गौरतलब है कि लखनवाल 2021 में जो बाइडेन प्रशासन के एक कार्यक्रम के तहत अमेरिका आए थे। इस कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद हजारों अफगान नागरिकों को पुनर्वासित किया गया था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी शरण को मंजूरी दी गई थी।
ग्रीन कार्ड पर अमेरिकी कार्रवाई का भारत पर कितना प्रभाव पड़ेगा?
ग्रीन कार्ड धारकों पर इस कार्रवाई का अमेरिका में रहने वाले भारतीयों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
नए नीतिगत मार्गदर्शन के साथ, यूएससीआईएस अधिकारी आव्रजन अनुरोधों की समीक्षा के दौरान 19 नामित ‘उच्च जोखिम वाले देशों’ के विशिष्ट कारकों पर विचार करेंगे।
ये देश हैं: अफगानिस्तान, म्यांमार, बुरुंडी, चाड, कांगो गणराज्य, क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लाओस, लीबिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, सूडान, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और यमन।
पीटीआई के अनुसार, ये वही देश हैं जिन पर ट्रंप ने इस साल जून में यात्रा प्रतिबंध की घोषणा की थी।
यूएससीआईएस ने घोषणा में कहा कि नीतिगत दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे तथा 27 नवंबर या उसके बाद लंबित या दायर किए गए अनुरोधों पर लागू होंगे।

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