December 13, 2025

ट्रंप के फैसले के खिलाफ 20 अमेरिकी राज्यों ने अदालत का रुख किया

ट्रंप के फैसले के खिलाफ 20 अमेरिकी...

न्यूयार्क, 13 दिसम्बर : अमेरिका के बीस राज्यों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एच-1बी वीजा आवेदनों पर 100,000 डॉलर का भारी शुल्क लगाने के विवादास्पद फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। दरअसल, कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा के नेतृत्व में दायर इस मुकदमे में एच-1बी वीजा पर इस शुल्क के खिलाफ तर्क दिया गया है कि यह शुल्क पूरी तरह से अवैध है, प्रशासन के पास इसे लागू करने का कोई अधिकार नहीं था और इससे अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक स्कूलों जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए गंभीर खतरा पैदा होगा।

एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाने का दांव उल्टा पड़ा

आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 सितंबर, 2025 को इसकी घोषणा की थी। घोषणा के तुरंत बाद, 21 सितंबर से आवेदनों के लिए इसे लागू कर दिया गया। इस संबंध में, राज्यों का तर्क है कि जहां पहले एच-1बी के लिए कुल शुल्क 960 डॉलर से 7,595 डॉलर तक था, वहीं वर्तमान 100,000 डॉलर का शुल्क शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में पहले से ही चल रही कर्मचारियों की कमी को और बढ़ा देगा।

कुशल प्रतिभा ही हमें आगे बढ़ाती है

यह मुकदमा कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने दायर किया था। उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, कैलिफोर्निया जानता है कि जब दुनिया भर से कुशल प्रतिभाएं हमारे कार्यबल में शामिल होती हैं, तो इससे हमारा राज्य प्रगति करता है। लेकिन ट्रंप द्वारा लगाया गया अवैध 100,000 डॉलर का एच-1बी वीजा शुल्क कैलिफोर्निया के सार्वजनिक नियोक्ताओं और अन्य महत्वपूर्ण सेवा प्रदाताओं पर अनावश्यक और अवैध वित्तीय बोझ डालता है, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में कार्यबल की कमी और बढ़ जाती है।

प्रशासनिक प्रक्रिया का अनुपालन न करने का आरोप

राज्यों का तर्क है कि ट्रंप प्रशासन ने इन शुल्कों को लागू करने के लिए न तो कांग्रेस की मंजूरी ली और न ही प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम (एपीए) के तहत आवश्यक नियम बनाने की प्रक्रिया का पालन किया। ऐतिहासिक रूप से, एच-1बी शुल्क कार्यक्रम के संचालन की लागत तक ही सीमित रहे हैं, न कि मनमाने ढंग से राजस्व संग्रह के साधन के रूप में।

संघीय आव्रजन कानूनों का उल्लंघन

एच-1बी वीजा शुल्क के खिलाफ दायर मुकदमे में मैसाचुसेट्स, न्यूयॉर्क और इलिनोइस सहित 20 डेमोक्रेटिक-बहुमत वाले राज्य शामिल हैं। उनका तर्क है कि यह नया शुल्क अमेरिकी संविधान के साथ-साथ संघीय आव्रजन कानूनों का उल्लंघन करता है। इससे हमारे सार्वजनिक अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा और शिक्षकों और डॉक्टरों की पहले से ही गंभीर कमी और भी बढ़ जाएगी।

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