नई दिल्ली, 14 अगस्त : दिल्ली और बेंगलुरु समेत देश के कई शहरों के स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को ईमेल के जरिए बम की झूठी धमकियां मिलने के बाद देशभर के शिक्षण संस्थानों में साइबर सुरक्षा पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि देश के शिक्षण संस्थानों के लिए साइबर सुरक्षा का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले नौ महीनों में देश के शैक्षणिक संस्थानों पर 2 लाख से ज़्यादा साइबर हमले हुए हैं, जबकि 4 लाख डेटा चोरी की घटनाएँ हुई हैं।
साइबर सुरक्षा पर काम करने वाली वैश्विक संस्था साइबरपीस ने डेलनेट के साथ मिलकर किए गए एक पायलट अध्ययन में पाया है कि देश के उच्च शिक्षा और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में साइबर खतरों से निपटने के लिए कोई ठोस तैयारी नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, यह अध्ययन जुलाई 2023 से अप्रैल 2024 के बीच शैक्षणिक संस्थानों में किया गया। जिन मुख्य विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें साइबर खतरों की पहचान करना, उनसे निपटने की तैयारियों का आकलन करना, साइबर हमलों से होने वाले व्यवधानों की जांच करना और साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुझाव देना शामिल था।
रिपोर्ट का दावा है कि ये हमले देश के अंदर और बाहर, दोनों जगहों से किए गए। इस दौरान आठ हज़ार से ज़्यादा ऐसे यूज़रनेम और लगभग 54 हज़ार यूनीक पासवर्ड की भी पहचान की गई है, जिन्हें कमज़ोर यूज़रनेम और पासवर्ड के चलते निशाना बनाया गया। वैश्विक स्तर पर बढ़ते साइबर खतरों के मद्देनजर रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक संस्थानों को अपनी प्रणालियों को मजबूत करना चाहिए ताकि कोई भी उनके महत्वपूर्ण शोध, ज्ञान या डेटा को चुरा न सके।
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