इस्लामाबाद, 22 जून : अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हवाई हमलों ने पाकिस्तान को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। यह हमले रविवार को उस समय हुए जब पाकिस्तान ने एक दिन पहले ही यह घोषणा की थी कि उसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है। इस संदर्भ में, अमेरिकी हमलों ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में होने वाली संभावित मुलाकात पर भी सवाल उठाए हैं।
अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या अमेरिका ने असीम मुनीर को बुलाकर पहले से ही पाकिस्तान की स्थिति को नियंत्रित करने की योजना बनाई थी, जिससे वह इस संकट के समय में अपनी आवाज को प्रभावी ढंग से नहीं उठा सके।
इस्लामिक भाई के खिलाफ साजिश
पाकिस्तान तेहरान को अपना इस्लामिक भाई कहता है और अब उसी भाई के खिलाफ अमेरिका ने हमला बोल दिया है। खास बात है राष्ट्रपति ट्रंप को इस्लामाबाद शांति का मसीहा बता रहा था। असीम मुनीर से मुलाकात के बाद तो पाकिस्तानी मीडिया ने इस्लामाबाद और वॉशिंगटन के संबंधों के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर दावे शुरू कर दिए थे। यहां तक दावा कर दिया गया कि असीम मुनीर ने अमेरिका को ईरान पर हमला न करने के लिए मना लिया है।
रक्षा विशेषज्ञ सुशांत सरीन ने एक्स पर लिखा, 2 दिनों से पाकिस्तान का चाटुकार मीडिया और चाटुकार राजनेता दावा कर रहे थे कि उनके ‘फेल्ड मार्शल’, इस्लामिस्ट जाहिल असीम मुनीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और ट्रम्प को ईरान पर बमबारी करने के खिलाफ राजी किया और मध्यस्थ की भूमिका निभाने जा रहे थे। पता चला कि सुन्नी चरमपंथी मुनीर पुरी तरह से शिया राज्य के खिलाफ़ अमेरिका को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन देने के लिए तैयार था।’
यह भी देखें : ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने किया हमला, ट्रम्प ने किया संबोधन
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