November 20, 2025

मटन-चिकन से भी महंगी हो गईं सब्जियां, बिगड़ा रसोई का बजट

मटन-चिकन से भी महंगी हो गईं...

गुरदासपुर, 25 अक्तूबर : त्योहारी सीजन के चलते समाज का हर वर्ग हरी सब्जियों की आसमान छूती कीमतों का सामना कर रहा है। मांस की कीमत सब्जियों की कीमत से अधिक होने के कारण लोग हरी सब्जियां खरीदने से भी परहेज कर रहे हैं। इस बीच, महिलाओं की रसोई का बजट भी बिगड़ गया है। दिहाड़ी मजदूर भी हरी सब्जियां नहीं खरीद पा रहे हैं।

गौरतलब है कि इस समय हरा धनिया 600 रुपये प्रति किलो, गोभी 100-120 रुपये, मटर 200 रुपये, बैंगन 50 रुपये, मूली 50 रुपये, कद्दू 50 रुपये, पालक 100 रुपये और सरसों का साग 50 रुपये प्रति किलो, मेथी 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि टमाटर भी करीब 50 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। अगर मांस की बात करें तो वह भी करीब 160 रुपये बिक रहा है, जबकि सब्जियां इससे भी ऊंचे रेट पर बिक रही हैं।

सब्जियां शुरुआत में महंगी होती हैं

शहर के सब्जी विक्रेताओं से जब बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सर्दियों की सब्जियां शुरुआत में महंगी होती हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनके दाम ज़रूर कम हो जाएँगे। उन्होंने बताया कि सब्जियों के दाम ज़्यादा होने की वजह से लोग बहुत कम सब्जियां खरीद रहे हैं। एक किलो सब्जी खरीदने की बजाय लोग 500 किलो सब्जियां भी खरीद रहे हैं। जबकि इस समय सिर्फ़ प्याज और आलू ही सस्ते नज़र आ रहे हैं। जबकि बाकी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।

गरीबों के लिए खाने का स्वाद बिगाड़ दिया

इस संबंध में जब कुछ लोगों से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सब्जियों की आसमान छूती कीमतों ने आम लोगों के रसोई के बजट को बिगाड़ दिया है। दिहाड़ी मजदूरी करके कमाने वाले गरीब परिवारों की थाली से भी अब सब्जियां गायब होती जा रही हैं। सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने खासकर गरीबों के लिए खाने का स्वाद बिगाड़ दिया है। जिस तरह से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, उससे दिहाड़ी मजदूरों के लिए सब्जियां खरीदना मुश्किल हो रहा है।

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