नई दिल्ली, 9 जून : कनाडा अपने नागरिकता कानून में महत्वपूर्ण संशोधन करने जा रहा है। हाल ही में, कनाडा की इमिग्रेशन मंत्री लीना मेटलज डाइब ने संसद में एक नया नागरिकता कानून विधेयक पेश किया, जिसे सी-3 (सी-3) के नाम से जाना जाता है। इस विधेयक के माध्यम से वंश के आधार पर नागरिकता पर लागू मौजूदा सीमाओं को समाप्त करने का प्रस्ताव है। इसे गुरुवार को कनाडाई संसद में प्रस्तुत किया गया, और इसमें पहले के कानून की कमियों को सुधारने का प्रयास किया गया है।
वर्तमान नागरिकता कानून के अनुसार, कोई भी कनाडाई नागरिक जो विदेश में जन्मा है, अपने विदेश में जन्मे बच्चों को नागरिकता नहीं दे सकता। यह कानून 2009 में संसद में पेश किया गया था, जिसमें वंशानुगत नागरिकता को केवल कनाडा में जन्मी पहली पीढ़ी तक सीमित रखा गया था। इस समस्या को हल करने के लिए अब कनाडा ने नए विधेयक का प्रस्ताव रखा है, जो नागरिकता के अधिकारों को व्यापक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पहले सिर्फ पहली पीढ़ी को मिलती थी नागरिकता
बताया जाता है कि इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज़ एंड सिटीजनशिप कनाडा (आई.आर.सी.सी.) के अनुसार, कनाडा के बाहर जन्मे लोगों के लिए वंशानुगत नागरिकता की पहली पीढ़ी की सीमा के कारण, ज़्यादातर कनाडाई जो वंश द्वारा नागरिक हैं, वे देश के बाहर जन्मे या गोद लिए गए अपने बच्चों को नागरिकता नहीं दे सकते। इस कानून की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
किन लोगों को होगा सीधा लाभ?
यदि यह नया विधेयक कनाडाई संसद द्वारा पास हो जाता है, तो इसका फायदा बहुत से लोगों को मिलेगा। हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इमिग्रेशन नीतियों को सख्त कर दिया है। ट्रंप के इस फैसले के बीच, कनाडाई सरकार द्वारा लाया गया यह विधेयक भारतीय प्रवासियों और अन्य प्रवासी समुदायों के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।
आपको बता दें कि इस साल 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने एच.बी-1बी और एफ-1 जैसे अस्थायी वीजा पर आए माता-पिता के अमेरिका में जन्मे बच्चों के जन्मसिद्ध अधिकार को समाप्त कर दिया था।
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