नई दिल्ली, 31 जुलाई : माँ बनने का सपना हर महिला का होता है। एक महिला 9 महीने तक अपने गर्भ में एक बच्चे को पालती है। जब बच्चा पैदा होता है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता। जब भी बच्चा पैदा होता है और पहली बार रोता है, तो यह पल हर माँ के लिए बेहद खास होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बच्चा क्यों रोता है (नवजात शिशु के रोने का महत्व)? डॉक्टर इससे कैसे समझते हैं कि बच्चा ठीक है?
जन्म के बाद शिशु खुद साँस लेना शुरू कर देता है, लेकिन जन्म से पहले वह गर्भ में कैसे जीवित रहता है? वह न तो साँस लेता है, न ही बोलता है, फिर भी उसके शरीर को उसकी ज़रूरत की हर चीज़ कैसे मिलती है? इन सवालों के जवाब हर माता-पिता को पता होने चाहिए। जब शिशु गर्भ में होता है, तो उसका शरीर धीरे-धीरे बाहरी दुनिया के लिए तैयार हो रहा होता है, लेकिन इस दौरान उसके जीने का तरीका थोड़ा अलग होता है। माँ का शरीर उसकी हर ज़रूरत का ख्याल रखता है।
शिशु का पहला रोना महत्वपूर्ण है।
इसलिए, यह ज़रूरी है कि माँ की नियमित जाँच हो और उसका ऑक्सीजन स्तर अच्छा बना रहे। गर्भ में शिशु भले ही खुद साँस नहीं ले सकता, लेकिन गर्भनाल के ज़रिए उसे मिलने वाली ऑक्सीजन ही उसके जीवन की सबसे बड़ी ज़रूरत है। जन्म के बाद उसकी पहली साँस और पहला रोना ही उसके इस दुनिया में आने का सबसे बड़ा संकेत होता है।

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