अमृतसर, 26 सितंबर : अस्सू माह में श्री बजरंगी सेना की टोलियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। अस्सू के पहले नवरात्र से शुरू होने वाले विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले में जहां श्रद्धालु अपने बच्चों को लंगूर बनाकर श्री दुर्ग्याणा तीर्थ स्थित श्री वड्डा हनुमान मंदिर में माथा टेकते हैं, वहीं इस बार वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार इस बार भी श्री बजरंगी सेना की करीब 150 टोलियां अमृतसर में भारी संख्या में बजरंगी सेना बनाकर हाथों में गुर्ज लेकर मंदिर में ढोल की थाप पर नाचते-गाते माथा टेकते हुए माथा टेक रहे हैं।
अगर बात की जाए तो जिस तरह लंगूर बनने वाले बच्चे कड़े नियमों का पालन करते हैं, उसी तरह बजरंगी सेना को भी कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है। विभिन्न बजरंगी सेनाओं द्वारा तैयार किए गए सुंदर स्वरूप भी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनते हैं और श्रद्धालु इस मनमोहक समय को अपने फोन में वीडियो और सेल्फी के माध्यम से कैद भी करते हैं।
नवरात्रि से डेढ़ माह पहले बजरंगी सेना ब्रह्मचारी का रूप धारण कर लेती है
श्री महावीर बाला जी सेवा मंडली के आशीष महंत ने बताया कि नवरात्रि शुरू होने से डेढ़ माह पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं और बजरंगी सेना में श्री हनुमान जी की पोशाक पहनने वाले डेढ़ माह पहले से ही ब्रह्मचारी का रूप धारण कर लेते हैं। वे नंगे पैर चलना, जमीन पर आराम करना और लहसुन-प्याज से परहेज करना शुरू कर देते हैं। स्नान करने के बाद बजरंगी सेना में श्री हनुमान जी की पोशाक पहनने वाले लोग श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं और पोशाक पहनते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन की शाम को वे श्री हनुमान जी के चरणों में माथा टेकते हैं और अनुमति लेकर भक्तों के घर उनके दर्शन करने जाते हैं। वे घरों में जाकर सभी की सुख-शांति की प्रार्थना भी करते हैं, ताकि हर घर में श्री हनुमान जी की कृपा बनी रहे।
बजरंगी सेना का सदस्य बनने के लिए सख्त नियम
नवरात्रि के प्रथम दिन पूजन सामग्री, मिठाई, फल, नारियल, फूलमाला, भूमि पर विश्राम, चमड़े के जूते-चप्पल, बेल्ट आदि का प्रयोग वर्जित है तथा नंगे पैर रहना होता है। चाकू से कटी हुई कोई भी वस्तु नहीं खानी होती है, तथा प्याज, लहसुन, पान और कोई भी मादक पदार्थ वर्जित है। व्रत रखने वालों को केवल व्रत की वस्तुएं ही खानी होती हैं।
पूरे शरीर पर तेल, शैम्पू और साबुन लगाना वर्जित है। अपने हाथों से साबुन से कपड़े धोना वर्जित है। सायंकाल श्री हनुमान जी के मंदिर में माथा टेकना अनिवार्य है। श्री बजरंगी सेना की पोशाक दशहरे के अगले दिन एकादशी को स्नान करने के बाद ही उतारी जाती है।
बजरंगी सेना बनने वाले लोग हर साल नया परिधान पहनते हैं
विश्व प्रसिद्ध लंगूर मेले के दौरान श्री बजरंगी सेना बनने वालों के लिए हर साल एक नया परिधान होता है, जिसमें चेहरे और शरीर पर सिंदूर, लाल चोला, लंगोटी, जनेऊ, हाथों में गुर्ज अनिवार्य है और अपनी श्रद्धा के अनुसार वे पैरों में चूड़ियां और घुंघरू पहन सकते हैं। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नियमों का पालन करके बजरंगी सेना बन सकते हैं।
तीर्थयात्री शांति और समृद्धि की कामना के लिए भक्तों के घर जाते हैं
आशीष महंत ने बताया कि श्री वड्डा हनुमान मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालु भक्तों के घर जाकर सभी की सुख-शांति की कामना करते हैं। श्रद्धालु दर्शन करने आए श्री बजरंगी सेना को दूध, फल आदि अर्पित करते हैं और श्री हनुमान जी के चरणों में भोग लगाकर सभी को देते हैं। श्री बजरंगी सेना की ओर से व्रत रखने वालों को व्रत का प्रसाद दिया जाता है।
डेरा नाममात्र की सेवा करके बजरंगी सेना बन गया
डेरा बजरंगी सेना बनने वालों को नाममात्र की सेवा प्रदान करता है, जिसमें हर साल श्री बजरंगी सेना के लिए एक नया चोला, अन्य वस्त्र, भोजन, पेय और आवास की व्यवस्था की जाती है। कई लोग 2, 5, 7, 11 या उससे भी अधिक वर्षों के लिए बजरंगी बन जाते हैं।
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