चंडीगढ़, 5 दिसम्बर : भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तार डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने करीब एक हफ्ते पहले दलील दी थी कि सीबीआई चंडीगढ़ में केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ ही कार्रवाई कर सकती है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की पीठ ने गुरुवार को सवाल किया कि आईपीएस अधिकारी को किसका कर्मचारी माना जाए।
पूछा मामले में कार्रवाई कौन करेगा?
अदालत ने अखिल भारतीय सेवा अधिनियम और संबंधित नियम पेश करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के पास अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है, लेकिन यह स्पष्ट होना ज़रूरी है कि अंतिम अधिकार किसके पास है। भुल्लर के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल पंजाब कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं, इसलिए किसी भी कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी पंजाब ही है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आईएएस अधिकारियों के मामलों में भी पंजाब सरकार से मंजूरी भेजने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। सिफारिश उसी अधिकारी से लेनी होती है, जिससे वह अधिकारी संबंधित है। सुनवाई में यह केंद्रीय प्रश्न भी उठा, जो पिछली तारीख पर उठाया गया था कि क्या दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम के तहत गठित सीबीआई बिना किसी विशेष आदेश के केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अलावा किसी और की जांच कर सकती है?
इसलिए ठुकराई भुल्लर की जमानत
भुल्लर ने अपनी याचिका में तत्काल रिहाई की मांग की थी और दावा किया था कि आगे हिरासत में रखना न्याय के उद्देश्यों के लिए हानिकारक होगा। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने भुल्लर को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि भुल्लर द्वारा मांगी गई राहत वास्तव में अंतिम निर्णय के समान है, इसलिए इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश देने का प्रश्न ही नहीं उठता।
यह भी देखें : सी.बी.आई. द्वारा चार्जशीट दायर करने पर भुल्लर ने रिकार्ड की मांग की

More Stories
सरहद पार से हथियार तस्कर गिरोह से जुड़े व्यक्ति पाँच पिस्तौल सहित काबू
गुरु ग्रंथ साहिब जी के गुम 328 सरूपों संबंधी 16 लोगों पर मामला दर्ज
सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर नामांकन पत्र खारिज किए गए: अकाली दल