December 8, 2025

90 दिन से पहले भी खाते को NPA घोषित कर सकता है बैंक

90 दिन से पहले भी खाते को NPA...

नई दिल्ली, 8 दिसम्बर : बैंक ने अनियमितताओं के आधार पर किसी खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित करने की प्रक्रिया पर एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है।

केनरा बैंक के तर्क को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अनिल खेत्रपाल की पीठ ने स्पष्ट किया कि अनियमितताओं के संबंध में 90 दिन की अवधि से पहले खाते को एनपीए घोषित करने की बैंक की कार्रवाई को अपरिपक्व नहीं कहा जा सकता।

अदालत ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक कानून के तहत, ओवरड्राफ्ट या क्रेडिट कैश खाता तब एनपीए बन जाता है जब बकाया राशि लगातार 90 दिनों से अधिक समय तक स्वीकार्य सीमा से अधिक हो जाती है।

अदालत ने केनरा बैंक की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। केनरा बैंक ने तर्क दिया कि उसने लगातार अनियमितताओं की 90-दिन की अवधि की सही गणना की थी और प्रतिवादी के खातों को 31 मार्च, 2013 को अनिवार्य अवधि समाप्त होने के बाद ही एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया था।

प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि ऋण वसूली अपील न्यायाधिकरण ने माना है कि बैंक ने उनके खातों को 90 दिन पहले ही अतिदेय घोषित कर दिया था। अदालत ने पाया कि 31 दिसंबर, 2012 तक, प्रतिवादियों के ओवरड्राफ्ट या क्रेडिट नकद खाते अनियमित हो गए थे, और बकाया राशि अनुमेय सीमा से अधिक हो गई थी।

न्यायालय ने कहा कि यह अतिरिक्त राशि न तो नगण्य थी और न ही अस्थायी, जिसके कारण बैंक को 31 मार्च, 2013 को खाते को एनपीए घोषित करना पड़ा। न्यायालय ने कहा कि यदि उक्त तिथि को 90वां दिन भी मान लिया जाए, तो भी वर्गीकरण को वैधानिक परिपक्वता की तिथि के रूप में समयपूर्व नहीं कहा जा सकता।