December 16, 2025

संसद में मीत हेयर ने उठाया आंगनवाड़ी वर्करों-हेल्परों के मानदेय बढ़ाने का मुद्दा

संसद में मीत हेयर ने उठाया आंगनवाड़ी...

चंडीगढ़, 16 दिसंबर : संगरूर से आम आदमी पार्टी के लोकसभा सदस्य गुरमीत सिंह मीत हेयर ने संसद में सप्लीमेंट्री मांगों पर चर्चा के दौरान आंगनवाड़ी कर्मचारियों, बाढ़ राहत, राशन कार्ड और खेल अनुदानों से जुड़े कई अहम मुद्दे जोरदार तरीके से उठाए। मीत हेयर ने कहा कि बच्चों के पालन-पोषण और पोषण में आंगनवाड़ी वर्कर सबसे अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन इसके बावजूद उनका लगातार शोषण हो रहा है।

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्कर को केवल 4500 रुपये और हेल्पर को 2250 रुपये मानदेय दिया जाता है, जो बेहद कम है। उन्होंने मांग की कि आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों को नियमित कर स्थायी वेतन दिया जाए।

बाढ़ के नुकसान के लिए 20 हजार करोड़ की मांग

पंजाब में आई भीषण बाढ़ का जिक्र करते हुए मीत हेयर ने कहा कि राज्य को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1600 करोड़ रुपये के बाढ़ पैकेज में से अभी तक पंजाब को कुछ भी नहीं मिला। उन्होंने मांग की कि घोषित पैकेज के साथ-साथ वास्तविक नुकसान की भरपाई के लिए 20 हजार करोड़ रुपये तुरंत जारी किए जाएं।

नए राशन कार्ड तुरंत बनाने की जरूरत

जनगणना न होने के कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर पड़ रहे असर की ओर ध्यान दिलाते हुए मीत हेयर ने कहा कि कोविड के चलते 2021 में जनगणना नहीं हो सकी और आगे भी इसकी कोई संभावना नहीं दिख रही। उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के आधार पर पंजाब में करीब 1.41 करोड़ राशन कार्ड बने हैं, जबकि आबादी बढ़ने से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या भी बढ़ गई है। ऐसे में नए राशन कार्ड तुरंत बनाए जाने चाहिए।

खेल अनुदानों में पंजाब के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाते हुए मीत हेयर ने कहा कि खेलो इंडिया ग्रांटों में पंजाब को नजरअंदाज किया गया, जबकि 2024 में गुजरात को करोड़ों रुपये दिए गए। उन्होंने कहा कि 2024 पेरिस ओलंपिक में गुजरात का कोई खिलाड़ी पदक नहीं जीत सका, जबकि पंजाब के 8 खिलाड़ियों ने हॉकी में पदक हासिल किए। उन्होंने मांग की कि खेल अनुदान राज्यों के खेल प्रदर्शन के आधार पर दिए जाएं।

विकसित भारत मॉडल पर सवाल

मीत हेयर ने विकसित भारत के मॉडल पर सवाल उठाते हुए कहा कि भुखमरी सूचकांक में भारत 123 देशों में से 102वें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि जब तक जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन और सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक विकास के दावे खोखले रहेंगे।

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