नई दिल्ली, 21 दिसम्बर : भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को विकसित भारत रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAMG) विधेयक 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून बन गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के साथ ही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), 2005 का स्थान VB-G RAMG अधिनियम ने ले लिया है।
यह विधेयक संसद के दोनों सदनों – लोकसभा और राज्यसभा – द्वारा शीतकालीन सत्र में पारित होने के बाद आया है। विधेयक को 18 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया और विपक्ष के सांसदों के जोरदार नारेबाजी के बीच पारित किया गया। विपक्षी सांसद विधेयक के विरोध में सदन के भीतर भी जमा हुए थे। विधेयक पारित हो गया और हंगामे के कारण सदन को उस दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। उसी दिन शाम को राज्यसभा में वीबी-जी राम जी विधेयक पेश किया गया। व्यापक बहस के बाद, आधी रात के बाद राज्यसभा ने विधेयक पारित कर दिया।
विपक्ष ने इस कानून का विरोध करने की शपथ ली।
इस कानून की पूरे विपक्ष ने कड़ी आलोचना की। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और सांसद सोनिया गांधी ने एक वीडियो बयान में मोदी सरकार पर एमजीएनआरईजीए को कुचलने का आरोप लगाया और वीबी-जी-राम जी अधिनियम के खिलाफ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया।
राहुल गांधी ने भी इस विधेयक को राष्ट्रविरोधी और ग्रामविरोधी बताया। जर्मनी में मौजूद लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, “कल रात मोदी सरकार ने एक ही दिन में एमजीएनआरईजीए के बीस साल के काम को ध्वस्त कर दिया। वीबी-जी-आरएएम जी एमजीएनआरईजीए का ‘सुधार’ नहीं है। यह अधिकार-आधारित, मांग-आधारित गारंटी को खत्म कर देता है और इसे दिल्ली से नियंत्रित एक राशन योजना में बदल देता है।”
एनसीपी-एसपी नेता सुप्रिया सुले ने इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने को “बहुत गलत” बताया। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस नीति के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा। उन्होंने आगे कहा, “हम संसद में पूरी ताकत से इस नीति का विरोध करेंगे और आगे भी करते रहेंगे।”

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