December 22, 2025

पुरस्कार और पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए संस्कृति मंत्रालय की मंजूरी अनिवार्य

पुरस्कार और पदाधिकारियों की नियुक्ति के...

चंडीगढ़, 22 दिसम्बर : भारतीय साहित्य अकादमी को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक फैसला सामने आया है। केंद्र सरकार ने साहित्य अकादमी पर सीधा नियंत्रण स्थापित करते हुए स्पष्ट किया है कि अब भविष्य में पुरस्कारों के लिए पुस्तकों के चयन और अकादमी के पदाधिकारियों की नियुक्ति संस्कृति मंत्रालय की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकेगी। संस्कृति मंत्रालय ने साहित्य अकादमी को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया है कि सभी अहम फैसले मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति से ही लिए जाएं।

अब तक करीब 75 वर्षों से अकादमी से जुड़े सभी निर्णय उसकी गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्वतंत्र रूप से लिए जाते रहे हैं, लेकिन इस नए आदेश के बाद अकादमी की स्वायत्तता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

लेखकों और सदस्यों में भारी नाराजगी

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद देश की विभिन्न भाषाओं से जुड़े लेखकों में गहरा रोष देखने को मिल रहा है। सूत्रों के अनुसार, साहित्य अकादमी के कई कन्वीनर और सदस्य विरोध स्वरूप कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं।

पुरस्कारों पर भी लगी रोक

जानकारी के मुताबिक, साहित्य अकादमी ने पिछले महीने एक बैठक कर विभिन्न भाषाओं के लेखकों की पुस्तकों को पुरस्कार देने का फैसला किया था। हालांकि, 18 दिसंबर को संस्कृति मंत्रालय ने हस्तक्षेप करते हुए इन फैसलों पर रोक लगा दी और स्पष्ट किया कि आगे से सभी निर्णय मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही लागू होंगे। भारतीय साहित्य अकादमी देश की 24 मान्यता प्राप्त भाषाओं का प्रतिनिधित्व करती है।

प्रत्येक भाषा से तीन सदस्यों को अकादमी में नामित किया जाता है, जो आगे चलकर चेयरमैन और अन्य पदाधिकारियों का चयन करते हैं। पंजाब से प्रो. मनजिंदर सिंह, बूटा सिंह चौहान और रवेेल सिंह अकादमी में पंजाबी भाषा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

पहले भी चेयरमैन चयन को लेकर बना था दबाव

सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार लंबे समय से एक विशेष विचारधारा से जुड़े व्यक्ति को अकादमी का चेयरमैन बनाने का प्रयास कर रही है। वर्ष 2022 में भी महाराष्ट्र से जुड़े एक व्यक्ति को चेयरमैन बनाए जाने को लेकर सदस्यों पर दबाव बनाया गया था, लेकिन उस समय लेखक किसी दबाव में नहीं आए थे। इस ताजा फैसले ने साहित्यिक जगत में सरकार की भूमिका और संस्थाओं की स्वतंत्रता को लेकर नई बहस छेड़ दी है।

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