नई दिल्ली: चंडीगढ़ के एक यूट्यूबर ने अपने वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के एक जज के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और यूट्यूबर के खिलाफ उल्लंघन का मामला शुरू किया है।
क्या बात क्या बात?
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति एजी मसीह और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर की अवकाश पीठ ने यूट्यूब चैनल को वीडियो प्रकाशित करने से रोक दिया है और यूट्यूबर अजय शुक्ला को आपत्तिजनक पोस्ट हटाने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई जुलाई माह में निर्धारित की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “व्यापक रूप से प्रकाशित ऐसे निंदनीय आरोपों से न्यायपालिका जैसी प्रतिष्ठित संस्था की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने की संभावना है।”
न्यायालय की टिप्पणी
अदालत ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है। हालांकि, यह स्वतंत्रता आवश्यक प्रतिबंधों के अधीन है और किसी भी व्यक्ति को ऐसे आरोप लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो अदालत के न्यायाधीश को बदनाम करने की प्रकृति के हों और अपमानजनक भी हों।”
सर्वोच्च न्यायालय की अवकाश पीठ ने भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमण और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को अदालत की सहायता करने के लिए कहा है।

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