November 20, 2025

भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, डोनाल्ड ट्रंप का बड़ा दावा

भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा...

वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्हें खबर मिली है कि भारत अब रूस से तेल खरीदना बंद कर सकता है, हालांकि उन्होंने यह भी माना कि उनके पास इसकी पुष्टि नहीं है। ट्रंप ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मैं समझता हूँ कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। मैंने ऐसा सुना है, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह सच है या नहीं। अगर ऐसा होता है, तो यह एक अच्छा कदम होगा। देखते हैं क्या होता है।”

ट्रम्प पहले भारत से नाराज क्यों थे?

ट्रंप की यह टिप्पणी हाल ही में रूस से तेल और हथियार खरीदने के लिए भारत की आलोचना के बाद आई है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ लगाता है और “असुविधाजनक व्यापार बाधाएँ” पैदा करता है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत को चेतावनी दी थी कि अगर वह रूस से ऊर्जा और सैन्य उपकरण खरीदना जारी रखता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाले सभी निर्यातों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा, साथ ही एक अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क भी लगाया जाएगा।

भारत ने क्या प्रतिक्रिया दी?

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, “भारत और रूस के बीच एक स्थिर और समय-परीक्षित साझेदारी है। हम ऊर्जा और रक्षा ज़रूरतों के आधार पर निर्णय लेते हैं।” उन्होंने अमेरिका को यह भी आश्वासन दिया कि: भारत और अमेरिका के बीच साझा मूल्यों, लोकतंत्र और लोगों के आपसी संबंधों पर आधारित एक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है। भारत और अमेरिका की दोस्ती ने कई बदलावों और चुनौतियों का सामना किया है। भारत, अमेरिका के साथ मज़बूत रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या भारत ने सचमुच रूसी तेल खरीदना बंद कर दिया है?

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने पिछले हफ़्ते रूस से कोई नया कच्चा तेल नहीं खरीदा। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और रूस से अपना ज़्यादातर तेल समुद्री रास्ते से खरीदता है, जो रूस के राजस्व का एक बड़ा स्रोत है।

यह मुद्दा महत्वपूर्ण क्यों है?

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, अमेरिका और पश्चिमी देश चाहते हैं कि दुनिया रूस से तेल और गैस न ख़रीदे ताकि उसकी आय रोकी जा सके। लेकिन भारत ने कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और किसी भी देश पर प्रतिबंध लगाने के बजाय संतुलित नीति अपनाता है।

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