प्रयागराज, 31 अगस्त : 122 साल बाद पितृ पक्ष की शुभ शुरुआत और अंत ग्रहण के दिन होगा। पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण से होगी और समापन 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण के साथ होगा। हालांकि, सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं रहेगा।
ग्रहण का पितृ पक्ष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
सनातन धर्म के जानकारों का मानना है कि ग्रहण का पितृ पक्ष पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन यह भारत के लिए शुभ रहेगा। इससे दुनिया में उथल-पुथल बढ़ेगी, लेकिन भारत में इसके सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे, क्योंकि यहां सूर्य ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होगा।
दुनिया में अशांति निश्चित, आंतरिक राजनीति में कटुता
बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजाशंकर शास्त्री के अनुसार, “पितृ भाव के जातक चंद्रमा के उर्ध्व भाग में होते हैं। पितृ भाव के आरंभ और अंत में ग्रहण लगने से विश्व में अशांति अवश्य होगी, लेकिन भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यहाँ सूर्य ग्रहण का प्रभाव नहीं होगा। भारत आर्थिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक और सैन्य क्षेत्र में मजबूत होगा, लेकिन आंतरिक राजनीति में कटुता बढ़ेगी। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच समन्वय का अभाव रहेगा।”
इससे पहले वर्ष 1903 में पितृ पक्ष के दौरान दो ग्रहण एक साथ लगे थे।
ज्योतिषाचार्य आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, वर्ष 1903 में पितृ भाव में दो ग्रहणों का संयोग बना था। उस समय चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया था, लेकिन सूर्य ग्रहण का प्रभाव दिखाई दिया था। इस बार सूर्य ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा।
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