नई दिल्ली, 6 जुलाई : बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों से लोन लेने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए अब क्रेडिट स्कोर मापने के तरीके में बदलाव की जरूरत है। इस दिशा में आरबीआई और वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की पहल पर कई पहल भी की गई हैं। हाल ही में यूनिफाइड पेमेंट्स (यूपीआई) जैसे देश के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) प्लेटफॉर्म को एकीकृत किया गया है, जिसकी मदद से क्रेडिट स्कोर न होने पर भी किसी व्यक्ति की ऋण पात्रता का आकलन किया जा सकेगा। वित्तीय सेवा विभाग ने केंद्र और राज्य के सभी विभागों को यूएलआई से जुड़ने को कहा है ताकि जरूरत पड़ने पर किसी भी व्यक्ति की सारी जानकारी हासिल की जा सके।
क्या लाभ होगा?
नाबार्ड और देश के सभी सहकारी और ग्रामीण बैंकों के यूएलआई से जुड़ने से व्यक्ति द्वारा नकद के रूप में लिए गए ऋण की जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी। व्यक्ति की संपत्ति, फार्म-हाउस आदि की सारी जानकारी यूएलआई के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगी। जिन किसानों ने अब तक कोई ऋण नहीं लिया है, वे आसानी से अपनी जमीन और फसलों का ब्योरा प्राप्त कर सकेंगे। यूएलआई ढांचे को ई-कॉमर्स और गिग वर्कर्स प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जाएगा ताकि छोटे खरीदारों और विक्रेताओं के साथ-साथ सभी गिग वर्कर्स का क्रेडिट स्कोर तैयार किया जा सके।
जिनके पास सिबिल स्कोर नहीं है उन्हें ऋण नहीं मिलता है
ग्रामीण इलाकों में बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास सिबिल स्कोर नहीं है। ऐसे में उन्हें लोन मिलने में दिक्कत आती है। इसे देखते हुए पिछले साल पेश किए गए बजट में ग्रामीण क्रेडिट स्कोर के लिए रूपरेखा तैयार करने की घोषणा की गई थी, जिस पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है। जल्द ही देशभर की वित्तीय संस्थाएं लोन देने के लिए ग्रामीण क्रेडिट स्कोर का इस्तेमाल करेंगी।
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