प्रयागराज, 4 अक्तूबर : संभल में सरकारी ज़मीन पर बने तालाब और मस्जिद को ढहाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने मस्जिद पक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। मस्जिद पक्ष को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने कोई अंतिम राहत नहीं दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी ज़मीन पर बनी एक मस्जिद को गिराए जाने से रोकने के लिए याचिकाकर्ता को विध्वंस आदेश के खिलाफ अपील दायर करने का विकल्प दिया है।
ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ मांगे थे
इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने आज लगातार दूसरे दिन छुट्टी के दिन भी मामले की सुनवाई के लिए आपातकालीन पीठ बुलाई। मस्जिद कमेटी ने ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ जमा किए। हाईकोर्ट ने कल सुनवाई के दौरान मस्जिद की ज़मीन से जुड़े दस्तावेज़ मांगे थे।
याचिकाकर्ता के वकील अरविंद कुमार त्रिपाठी के अनुसार, अदालत के हस्तक्षेप के बाद उन्हें ध्वस्तीकरण का आदेश मिला है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना ध्वस्तीकरण आदेश के की जा रही थी। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने सरकार का पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।
हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में मस्जिद, मैरिज हॉल और अस्पताल के ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकल पीठ ने सुबह 10 बजे याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका मस्जिद शरीफ गोसुलबारा रवां बुजुर्ग और मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर ने दायर की थी। हाईकोर्ट में तत्काल सुनवाई की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। मस्जिद पक्ष ने दलील दी कि मैरिज हॉल को ध्वस्त किया गया था। 2 अक्टूबर, गांधी जयंती और दशहरा को ध्वस्तीकरण के लिए चुना गया था। बुलडोजर चलाने के दौरान भीड़ किसी बड़े हादसे या दंगे का कारण बन सकती थी।
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