नई दिल्ली, 3 जुलाई : अगर आप भी ओला, उबर और रैपिडो जैसी कैब सर्विस कंपनियों की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो अपनी जेब ढीली करने के लिए तैयार रहिए। सडक़ परिवहन मंत्रालय ने कैब एग्रीगेटर्स को पीक आवर्स के दौरान बेस फेयर (आधार किराया) का दोगुना तक चार्ज करने की अनुमति दे दी है। पहले यह किराया डेढ़ गुना था। ऑफ पीक आवर्स का किराया बेस फेयर का कम से कम 50 फीसदी होना चाहिए।
बेस फेयर में दोगुनी कीमत वसूलने की इजाजत
मंत्रालय ने अपने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस-2025 में स्पष्ट किया है कि एग्रीगेटर को सब-क्लॉज (17.1) के तहत तय बेस फेयर से कम से कम 50 फीसदी कम और अधिकतम दोगुना कीमत वसूलने की अनुमति होगी। इसके अलावा वसूला जाने वाला बेस फेयर कम से कम तीन किलोमीटर के लिए होगा ताकि डेड माइलेज की भरपाई की जा सके। इसमें बिना यात्री के तय की गई दूरी, तय की गई दूरी और यात्री को लेने में इस्तेमाल हुआ ईंधन शामिल है।
गाइडलाइंस के मुताबिक मोटर वाहन के संबंधित क्लास या श्रेणी के लिए राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किराया ही एग्रीगेटर से सेवाएं लेने वाले यात्रियों द्वारा चुकाया जाने वाला बेस फेयर होगा। राज्यों को तीन महीने के भीतर संशोधित दिशानिर्देश अपनाने की सलाह दी गई है।
कैब रद्दीकरण के मामले में, यदि एग्रीगेटर द्वारा बिना किसी वैध कारण के रद्दीकरण किया जाता है, तो चालक से किराये का 10 प्रतिशत जुर्माना लिया जाएगा, जो 100 रुपये से अधिक नहीं होगा। बिना किसी वैध कारण के टिकट रद्द करने पर यात्री पर भी इतना ही जुर्माना लगाया जाएगा।
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