नई दिल्ली, 22 जुलाई : भारत के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने मई 2025 में इतिहास रच दिया है। इस महीने 20.06 लाख नए सदस्य ईपीएफओ से जुड़े, जो अप्रैल 2018 के बाद से सबसे बड़ा मासिक जुड़ाव है। यह संख्या सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था, युवाओं और महिला सशक्तीकरण की तस्वीर भी है। मई 2025 में लगभग 9.42 लाख नए युवा ईपीएफओ से जुड़े, जिनमें से 5.60 लाख 18 से 25 वर्ष की आयु के हैं।
युवाओं को मिल रहा रोजगार
इससे साफ पता चलता है कि भारत में युवा पहली बार काम की दुनियां में प्रवेश कर रहे हैं और संगठित क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं। इस महीने 2.62 लाख नई महिला सदस्य बनीं, जो पिछले महीने से 7.08 प्रतिशत और पिछले वर्ष से 5.84 प्रतिशत अधिक है।
इससे पता चलता है कि महिलाओं की कार्य भागीदारी और औद्योगिक नौकरियों में रुझान बढ़ रहा है। मई 2025 में, 16.11 लाख कर्मचारी, जिन्होंने पहले इन योजनाओं से बाहर निकलने का विकल्प चुना था, भी ईपीएफओ में शामिल हो गए।
यह उनकी दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा में उनके बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। राज्यों में, महाराष्ट्र ने पेरोल अधिशेष में सबसे अधिक (20.33 प्रतिशत) योगदान दिया। इसके बाद कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना का स्थान है। इन राज्यों की संयुक्त भूमिका भारत की आर्थिक गति को गति दे रही है।
विशेषज्ञ सेवाएं, कपड़ा उद्योग, सफाई सेवाएँ, इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल इंजीनियरिंग, वित्त और कपड़ा निर्माण जैसे क्षेत्रों ने इस अधिशेष में निर्णायक भूमिका निभाई। केंद्रीय मंत्री मंडाविया ने इस अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युवा-केंद्रित नीतियों और उनके दूरदर्शी नेतृत्व की उपलब्धि है।
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