December 13, 2025

सेवानिवृत्ति के बाद आरोपों के आधार पर पर ग्रेच्युटी नहीं रोकी जा सकती : उच्च न्यायालय

सेवानिवृत्ति के बाद आरोपों के आधार पर...

चंडीगढ़, 13 दिसम्बर : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उत्तर हरियाणा विद्युत वितरण निगम द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारी राजिंदर सिंह की ग्रेच्युटी से लगभग 4.56 लाख रुपये की कटौती को पूरी तरह से अवैध घोषित कर निगम को यह राशि वापस करने का आदेश दिया है। निगम को यह राशि तीन महीने के भीतर छह प्रतिशत ब्याज सहित वापस करनी होगी। न्यायमूर्ति हरप्रीत सिंह बराड़ ने स्वीकार किया कि निगम ने कर्मचारी को सुनवाई का अवसर नहीं दिया और विभागीय जांच और आरोप पत्र के बिना कटौती की, जो प्राकृतिक न्याय के मूलभूत सिद्धांतों के विरुद्ध है।

ऑडिट आपत्ति ग्रेच्युटी रोकने का आधार नहीं

वर्ष 2020 में केवल एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उसके बाद कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। राजिंदर सिंह 30 अप्रैल 2022 को सहायक/फील्ड के पद से सेवानिवृत्त हुए, और इसी लंबित नोटिस के आधार पर उनकी तीसरी एसीपी (वार्षिक वेतन भुगतान) भी रोक दी गई। उच्च न्यायालय ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद लगाए गए आरोपों के आधार पर किसी भी सेवानिवृत्त कर्मचारी की ग्रेच्युटी नहीं रोकी जा सकती और केवल ऑडिट आपत्ति ग्रेच्युटी रोकने का आधार नहीं हो सकती, जब तक कि सेवा अवधि के दौरान विभिन्न आरोप न लगाए गए हों।

फैसले में स्पष्ट किया गया है कि निगम को तीन महीने के भीतर ये सभी कार्य पूरे करने होंगे, जिनमें पूरी राशि की वापसी, तीसरी एसीपी का लाभ और पेंशन का पुनर्निर्धारण शामिल है।

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